सहारनपुर: अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जमीयत हिमायतुल इस्लाम के अध्यक्ष कारी अबरार जमाल के पास श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से न्योता आया था, कारी अबरार जमाल प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. बुधवार दोपहर वह सहारनपुर पहुंचे कारी अबरार जमाल ने श्री राम मंदिर ट्रस्ट का शुक्रिया अदा किया. अयोध्या में हुए भव्य कार्यक्रम को लेकर कारी अबरार जमाल ने कहा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में गंगा-जमुनी तहज़ीब.की मिशाल पेश की गई.
कारी अबरार जमाल ने कहा कि मैं राम मंदिर ट्रस्ट के तमाम लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं. उन लोगों ने हमें निमंत्रण भेजा और वहां पर बुलाकर हमारा सम्मान किया. साथ ही बहुत चीज जैसे किताबें ,अंगूठी ,प्रसाद हमे दिया. उन्होंने कहा कि यह बात इतिहास में लिखी जाएगी जहां सालों के झगडे के बाद जब सनातनी लोगों ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तो उसे प्रोग्राम में भी कहीं गंगा जमुनी तहजीब पर धब्बा ना लग जाए इस तहजीब को कायम रखना के लिए मुस्लिम स्कॉलर को बुलाकर उसका सम्मान किया.
यह मेरे लिए एक ऐतिहासिक और बहुत ही महत्वपूर्ण पल था. लोग कहते हैं कि मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाया गया लेकिन मुसलमान तो कोर्ट के ऊपर भरोसा रखता है. जब किसी मुसलमान को कोर्ट की तरफ से इंसाफ मिलता है तो मुसलमान कहता है वह कोर्ट ने हमारे साथ इंसाफ किया. तो वही कोर्ट राम मंदिर निर्माण का फैसला सुना रहा है तो फिर परेशानी किस बात की? मुसलमान तो दोगला नहीं हो सकता.
असदुद्दीन ओवैसी पर बोला हमला
कारी अबरार जमाल ने कहा कि मैं असदुद्दीन ओवैसी को बताना चाहता हूं कि यदि इस देश का हिंदू व सनातन अगर मुसलमान की मस्जिद व मजारों का दुश्मन होता तो बाबरी मस्जिद को जब गिराया गया तो वहाँ हजरत नुएसलाम की कबरे अनवर है वो महफूज ना होती. आज भी वह कबरें वहां पर मौजूद है और तमाम लोग वहां पर जाते हैं हिंदू लोग भी जाते हैं. हिंदू इस देश का मजारों एवं मस्जिदों के बिल्कुल खिलाफ नहीं है. ओवैसी साहब की दुकान तो इन बयानों से ही चलती है.
जब मैं अयोध्या गया तो उसे वक्त मेरे पास बहुत से फोन आए कि आप मत जाइए आपका साथ कुछ भी हो सकता है. आपके माथे पर तिलक भी लग सकता है आपको वहां जय श्री राम भी कहना पड़ सकता है. वहां पर हिंदू सनातन धर्म के लोग होंगे आप वहां अकेले जाएंगे आपको लोग हिकारत की नजर से देखेंगे लेकिन वहां पर उसका बिल्कुल उल्टा नजर आया. वहां पर सभी ने मुझको हिमायत और मोहब्बत की नजर से देखा, मेरे माथे पर किसी ने तिलक नहीं लगाया, मुझे किसी ने जय श्री राम कहने के लिए मजबूर नहीं किया. मुझे कहीं भी महसूस नहीं हुआ कि मैं दूसरे धर्म के लोगों में आ गया हूं. यह मेरे लिए बहुत ही ऐतिहासिक पल था. फतवे का डर मुझको नहीं है क्योंकि कुरान में कहा गया है तुम्हारा धर्म तुम्हें मुबारक हमारा धर्म हमें मुबारक हमारा दीन इतना कमजोर नहीं है