उपचुनाव में जीते तीनों विधानसभा को भी नहीं सहेज पाए निरहुआ

आजमगढ़। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा के निवर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ 2022 के उपचुनाव में उन तीन विधानसभाओं के वोटों को भी सहेज नहीं पाए, जहां से साढ़े 16 हजार वोटों की बढ़त लेकर सपा के किले को ध्वस्त करने का दावा करने में पीछे नहीं रहते थे। प्रतिशत बढ़ने से वोट भले ही उपचुनाव से ज्यादा मिले, लेकिन वह प्रदर्शन नहीं दोहरा सके।

यही नहीं, पीएम मोदी और सीएम योगी भी सपा के किले को ध्वस्त करने पर निरहुआ की पीठ थपथपा गए थे। ये क्षेत्र हैं सगड़ी, आजमगढ़ सदर और मेंहनगर। इस बार के चुनाव में सपा का उन तीनों सीटों पर खास जोर था जहां वह गच्चा खाए थे उपचुनाव में। वह अपनी रणनीति में सफल भी हुए।

उपचुनाव में धर्मेंद्र ने दर्ज की थी जीत
आजमगढ़ संसदीय सीट को अखिलेश यादव के छोड़ने पर 2022 में हुए उपचुनाव में सपा से धर्मेंद्र यादव मैदान में थे और मुकाबले में बीजेपी से दिनेश लाल यादव थे। इस चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा की पांच विधानसभाओं में से तीन विधानसभाओं में दिनेश लाल यादव ने साढ़े 16 हजार वोटों की लीड से धर्मेंद्र यादव को लगभग साढ़े आठ हजार वोटों से हरा दिया था।

इन तीन विधानसभाओं में बीजेपी के निरहुआ ने सगड़ी विधानसभा में 59,278 वोट प्राप्त कर सपा के धर्मेंद्र यादव को 6,219 वोटों से पछाड़ दिया था। आजमगढ़ सदर विधानसभा में भी दिनेश लाल यादव ने 74,936 वोट हासिल कर सपा के धर्मेंद्र यादव को छह हजार तीन 57 वोटों से पीछे कर दिया था। इसके अलावा मेंहनगर में भी दिनेश लाल यादव ने 66,354 वोट हासिल कर धर्मेंद्र यादव को 3,998 वोटों से परास्त किया था। इस बार के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव तीनों विधानसभाओं में बुरी तरह से गच्चा खा गए। सगड़ी, आजमगढ़ और मेंहनगर विधानसभा में सपा के धमेंद्र यादव ने 70 हजार वोटों से लीड कर दिनेश लाल यादव को पछाड़ दिया।

मुबारकपुर विधानसभा में तो धमेंद्र यादव ने अकेले लगभग 64 हजार वोटों से पीछे कर दिया। गोपालपुर विधानसभा में 35 हजार वोटों से दिनेश लाल यादव पीछे हो गए, जबकि 22 के उपचुनाव में दिनेश लाल यादव इस विधानसभा में सपा से महज दो हजार 296 वोट से ही पीछे थे।

निरहुआ की दूरी और संवादहीनता कचोटती थी कार्यकर्ताओं को
जब भी आजमगढ़ की बात होती थी तो विकास की चर्चा जरूर होती थी। हरिहरपुर में संगीत महाविद्यालय, आजमगढ़ एयरपोर्ट से उड़ान, विश्वविद्यालय सहित बताने वाले तमाम काम थे। हालांकि लोगों से मेल-मिलाप के बजाय शूटिंग और अन्य बातों पर ज्यादा जोर ने भी भाजपा की लुटिया डुबोने का काम किया।

निरहुआ से न मिल पाने का दर्द जरूर कार्यकर्ताओं को सालता था। कार्यकर्ताओं से सांसद की संवादहीनता भी कचोटती थी। नरौली निवासी रामदीन कहते हैं कि शुरू से भाजपा का सिपाही हूं। निश्चित ही दिनेश लाल यादव ने विकास कराए, लेकिन इतने दिनों में तीन-चार बार मिलना चाहा लेकिन इनकी गणेश परिक्रमा करने वालों की वजह से मिल न सका। इसी तरह से चौक निवासी रमाशंकर का कहना है कि उनकी दुनिया अलग थी। कुछ लोगों तक ही वह सीमित थे।

Related Articles

Back to top button