- स्थानीय प्रशासन की मदद से इस क्षेत्र में 24 घंटे हैवी ओवरलोड वाहन अवैध खनन की मिट्टी की कर रहे ढुलाई
- अगर इस काले धंधे को नहीं रोका गया तो दो दशक के बाद करोड़ो की लागत से बनवाई जा रही क्षेत्र की सड़कें फिर से हो जाएगी ध्वस्त
- क्षेत्र के दर्जनों गांवों के नागरिकों ने जिला प्रशासन से इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए सख्त निर्देश देने की मांग की है
निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ। सरकारी कामों की आड़ में वैध के सहारे अवैध खनन और ओवर लोडिंग कर खुले बाजार में मिट्टी बेंचकर माफिया करोड़ों की कमाई कर चुके हैं और अभी कर रहें हैं, और सड़कें बीकेटी तहसील क्षेत्र के विभिन्न गावों की ध्वस्त कर रहें हैं। क्षेत्र के सिंहपुर,पलिया, मोहम्मदपुर गढ़ी गांवों में कुछ माह पूर्व में जारी हुई खनन अनुज्ञा से रात-दिन ओवरलोड मिट्टी भरे डंपरों के सड़कों पर आने जाने से सड़कें एकदम ध्वस्त हो गई।इसी तरह से इलाके में पहाड़पुर से सरसवा,मझोरिया से चंद्रिका देवी रोड,कठवारा से शिवपुरी,अस्ती रोड नायरा पेट्रोल पंप से कोटवा और कोटवा से छठामील तक की सड़कें ध्वस्त हो गई।बताते हैं कि क्षेत्र के जिन जिन गांवों में जहां जहां खनन की अनुज्ञा जारी हुई।वहां वहां की सड़कों का खनन के ओवरलोड डंपरों ने नामोनिशान मिटा दिया है। प्रदेश की खनिज निदेशक से लेकर डीएम और एसडीएम तक के छापे और सीज करने की कार्रवाइयां भी इस पर रोक नहीं लगा पाईं। सिर्फ बीकेटी तहसील क्षेत्र में ही करोड़ों रुपये की लागत वाली सड़कें चंद महीनो में नेस्तनाबूद हो चुकी हैं।कुछ माह पूर्व क्षेत्रीय विधायक ने भी निवर्तमान खनन निदेशक व वर्तमान में मंडलायुक्त डा.रोशन जैकब सहित जिले के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर बख्शी का तालाब क्षेत्र में किये जा रहे अंधाधुंध अवैध खनन को तत्काल रोकने के लिए कहा था।लेकिन उनके पत्र भेजनें के कुछ दिनों बाद ही क्षेत्र में दोबारा अवैध खनन शुरु हो गया।
बता दें कि बख्शी का तालाब तहसील क्षेत्र के विभिन्न गाँवों के संपर्क मार्गों पर 24 घंटे हैवी ओवरलोड वाहन स्थानीय प्रशासन की मदद से इस क्षेत्र से अवैध खनन की ढुलाई करते हैं।कुछ माह पूर्व में जारी हुई खनन अनुज्ञाओं से क्षेत्र के पलिया,सिंहपुर,मोहम्मदपुर गढ़ी सहित विभिन्न गांवों से निकले अवैध खनन की मिट्टी भरकर ओवरलोड डंपर इन मार्गों की धज्जियां उड़ा चुके हैं। यह सब गोरखधंधा स्थानीय पुलिस और तहसील प्रशासन के संरक्षण में खूब फल-फूल रहा है।इन हैवी, ओवरलोड वाहनों के कारण ही क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बनने वाले दर्जनों मार्ग टूटना शुरू हो गये हैं, या फिर टूटकर एकदम ध्वस्त हो चुके हैं।फिर भी प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है तथा अपने संरक्षण में हैवी वाहनों को चलवा रहा है। इससे एक ओर जहां राजस्व की हानि हो रही है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में सरकार द्वारा विकास के लिए करोड़ों खर्चकर बनवाये जा रहे मार्ग क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, जिससे सरकार को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इस काले धंधे को अगर शीघ्र नहीं रोका गया तो दो दशक के बाद करोड़ों की लागत से बनवाई जा रही क्षेत्र की सड़कें फिर से ध्वस्त हो जाएगी। और इस क्षेत्र के लोगों को फिर से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। अवैध खनन और ओवर लोड वाहनों पर रोक लगाने के लिए पूर्व में कई बार तहसील संपूर्ण समाधान दिवसों एवं जिला प्रशासन को कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरकार को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों की मदद की जा रही है।क्षेत्र के दर्जनों गांवों के नागरिकों ने जिला प्रशासन से इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए सख्त निर्देश देने की मांग की है।
खनन के नियम व शर्तें
- अनुज्ञा पत्र धारक राज्य सरकार को किसी तीसरे पक्ष के दावे की क्षतिपूर्ति करता रहेगा और इस प्रकार के दावे को उनके उत्पन्न होते ही स्वयं निश्चित करेगा ।
- अनुज्ञा पत्र धारक ऐसी रीति से मिट्टी निकालेगा जिससे कोई सड़क , सार्वजनिक मार्ग , भवन , भू-ग्रहादि सार्वजनिक भू-स्थल या सार्वजनिक सम्पत्ति पर कोई बाधा न पड़े या उसे क्षति न पहुँचे ।
- अनुज्ञा पत्र धारक संग्रह किये गये सभी खनिजों का लेखा रखेगा और एतदर्थ प्रतिनियुक्ति प्राधिकारी को ऐसे लेखों का निरीक्षण करने की अनुमति देगा ।
- अनुज्ञप्ति मात्रा या अवधि जो भी पहले समाप्त हो निकासी की अवधि उतनी ही रहेगी ।
- यदि आवेदक द्वारा आवेदित मात्रा / स्वीकृत मात्रा से अधिक निकानी / परिवहन करता है तो यह अवैध निकासी / परिवहन की श्रेणी में आयेगा।
- आवेदक को उप खनिज परिहार नियमावली 1963 एवं समय समय पर जारी शासनादेश एवं उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करना बाध्यकारी होगा तथा उसका उन्लघंन पाये जाने पर कार्रवाई की जायेगी ।
- आवेदित स्थल के आस – पास के अन्य खेतों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचायेगा तथा निकासी कार्य सनिकट मेढ़ / खेत की सीमा से निकासी की गयी मिट्टी की गहराई के आधे की दूरी छोड़ी जायेगी ।
- अनुज्ञापत्रधारक प्रस्तावित गाटाओं से मौके पर उपलब्ध वृक्षों का कटान कदापि नहीं करेगा ।
- आवेदक को निर्धारित मात्रा अथवा निर्धारित अवधि दोनों में से जो पहले पूर्ण होगा वह मान्य होगा ।
- यहु कि माननीय न्यायालय / उच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण , नई दिल्ली अथवा शासन द्वारा मिट्टी खनन के सम्बन्ध में कोई आदेश निर्गत किया जाता है तो आवेदक द्वारा उसका पालन किया जायेगा । 11. अन्य शर्ते जो जिलाधिकारी द्वारा लगायी जाये ।
- पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र के प्रभावी नियमों अधिसूचना एवं शर्तों के अनुसार खनन संविदा की जाएगी ।
- बिना ई – एम 0 एस0-11 के परिवहन कार्य अवैध माना जायेगा ।
- पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से खनन अधिकतम 2.43 मीटर गहराई तक किया जायेगा एवं खनन कार्य दिन में किया जायेगा।
- आवेदक द्वारा हाईटेशन लाईन से 20 मीटर की दूरी छोड़कर खनन कार्य करेगा ।
- उक्त आवेदित गाटा पर वन विभाग से नियमानुसार पर्याप्त दूरी छोडकर ही खनन कार्य करेगा।
- अनुज्ञप्ति धारक द्वारा खनन कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व स्वीकृत गाटों का चिन्हांकन करावेगा एवं खनन स्थल पर संकेतक बोर्ड लगायेगा। जिसमें खनन क्षेत्र का सम्पूर्ण विवरण अंकित होगी।