भगवान भास्कर और छठी मइया के पावन आशीर्वाद से चराचर जगत सुख, समृद्धि व सौभाग्य के आलोक से आलोकित रहे, यही अभिलाषा है।
जय छठी मइया!
शरद कुमार सिन्हा, संपादक
लोक आस्था और जन कल्याण का महापर्व है छठ पूजा। देशभर में छठ का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ में सूर्य की उपासना की जाती है, जिससे पूरी प्रकृति का संचार होता है। सूर्य के कारण ही धरती पर जीवन है और उसी जीवन को सूर्य के किरणें रौशन करती हैं। छठ को प्रकृति का त्योहार भी कहा जाता है।
छठ पूजा संतान की प्राप्ति, संतान के दीघार्यु और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। 36 घंटे तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को निर्जला रखा जाता है। छठ सब व्रतों में सबसे ज्यादा कठिन है। छठ पूजा को उस वक्त ही सफल माना जाता है जब पूजा के वक्त छठी मईया की आरती की जाये।
यहां पढ़िए छठ पूजा की आरती
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥