एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स द्वारा एक प्रेस वार्ता एडीएचआर कार्यालय मण्डी समिति पर की गई

हाथरस| एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स द्वारा एक प्रेस वार्ता एडीएचआर कार्यालय मण्डी समिति पर की गई| प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन वार्ष्णेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता देवेंद्र गोयल, जिला अध्यक्ष डॉ. पी. पी. सिंह व जिला प्रवक्ता राजेश वार्ष्णेय मौजूद रहे|
राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन वार्ष्णेय ने बताया कि रक्त की कालाबाजारी को लेकर एक ज्ञापन सीएमओ डॉ. मंजीत सिंह को 28 दिसंबर को दिया गया था जिसमें एक जांच कमेटी डॉ. सूर्य प्रकाश सीएमएस अध्यक्ष, डॉ राजीव राय एसीएमओ सदस्य, डॉ. प्रवीण कुमार भारती डीटीओ सदस्य त्रिस्तरीय बनाई|
जाँच कमेटी को हमारे द्वारा समस्त साक्ष्य वीडियो-ऑडियो व लिखित बयान आदि कमेटी को 8 जनवरी को ही उपलब्ध करा दिए गए|
उपरोक्त प्रकरण में रक्त लेने वाले इरफान ने स्वयं बताया है कि मैं 2100/ रुपए में ब्लड बैंक बागला अस्पताल से रक्त लिया है हमने उसी की स्वीकारोक्ति के बाद ही रक्त की कालाबाजारी को लेकर ज्ञापन दिया था|
ज्ञापन देने के बाद ही 28 दिसंबर को ब्लड बैंक इंचार्ज कमलेश कुमार द्वारा रक्त लेने वाले व्यक्ति इरफान को फोन कर अस्पताल आने के लिए कहा| नहीं आने पर इस प्रकरण में फसने की धमकी दी उस पर दबाव बनाकर ₹1100 लेने का पत्र लिखवा लिया इस बात को इरफान बातचीत के ऑडियो में कह रहा है| ब्लड बैंक इंचार्ज कमलेश कुमार के फोन जाने का मतलब स्पष्ट है कि यह भी इस प्रकरण में सम्मिलित हैं इरफान की डायलिंग का फोटो भी हमारे पास मौजूद है और साक्ष्यों में हमने दिया भी है|
जांच कमेटी द्वारा कोई भी रिपोर्ट तैयार करकर नहीं दी जा रही है| इससे यह समझा जाये कि जांच कमेटी अपने चहेते ब्लड बैंक कर्मियों को बचा रही है| महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस प्रकरण में किसी ने कोई आरोप नहीं लगाया है बल्कि रक्त लेने वाला व्यक्ति इरफान स्वयं वीडियो में कह रहा है कि मैं ₹ 2100 देकर रक्त लाया हूं| फिर इरफान के फोन पर कमलेश कुमार का फोन जाना और पत्र लिखवाना कमलेश कुमार की भी मिली भगत को स्पष्ट करता है| इरफान द्वारा बातचीत में भी यह बताना कि मुझे पत्र लिखवा लिया है
जांच कमेटी ने जांच पूर्ण क्यों नहीं की है क्या अपने खास कर्मचारियों पर जांच कमेटी मेहरबान है|
एडीएचआर ने निर्णय किया है कि जब तक उक्त प्रकरण में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी| तब तक ब्लड बैंक बागला अस्पताल में कोई भी रक्तदान शिविर एडीएचआर द्वारा नहीं लगाया जाएगा जरूरत पड़ने पर रक्तदाता को भेज कर मरीजों की सहायता की जाएगी|
संस्थाओं की जवाबदेही भी बनेगी कि उसके द्वारा शिविरके माध्यम से एकत्र रक्त की कालाबाजारी तो नहीं हो रही है| समाज में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि हमारे रक्तदान की कालाबाजारी हो रही है और संस्थायें चुपचाप बैठी है रक्तदान का सदुपयोग हो| यही एडीएचआर की मंशा है रक्त की कालाबाजारी करने वालों के साथ एडीएचआर कभी खड़ी नहीं होगी|

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