देहरादून। उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटों पर जीत के समीकरणों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए कांग्रेस को दमदार प्रत्याशियों की तलाश है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने में अब अधिक दिन शेष नहीं हैं। पार्टी हाईकमान और संगठन की ओर से कराए गए सर्वे जिन दावेदारों पर दांव खेलने को बेहतर मान रहे हैं, वे स्वयं बहुत रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
दिग्गजों के मनभेद, अंतर्विरोध और गुटीय खींचतान के दांव-पेच अंदरखाने इतने असरदार बन पड़ रहे हैं कि पांचों लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हुई है। माना जा रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी से केंद्रीय चुनाव समिति को संभावित प्रत्याशियों के नाम का पैनल मिलने के बाद पार्टी हाईकमान इस प्रकरण में हस्तक्षेप कर सकता है।
तीसरी बार सूपड़ा साफ होने से बचना है चुनौती
उत्तराखंड में कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार सूपड़ा साफ होने से बचने की चुनौती है। जाहिर है कि इसके लिए पार्टी को सभी सीटों पर ऐसे प्रत्याशियों की दरकार है जो जीत का सेहरा बांध सकें। इस लक्ष्य की प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा दमदार समझे जाने वाले दावेदार दिग्गज नेता स्वयं बने हुए हैं।
टिकटों की दावेदारी को लेकर उत्साह नदारद
टिकटों की दावेदारी को लेकर उनमें अपेक्षित उत्साह नदारद है। यह हालत उस दल की है, जहां टिकटों के लिए दावेदारों में मारामारी रहती थी। दावेदारों की वही खेप अब भी है, लेकिन अब संसाधनों की कमी का हवाला देकर टिकटों के लिए जोर-आजमाइश से बचा जा रहा है। जमीन पर कार्य कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं यह उम्मीद कर रहे हैं कि वर्तमान स्थिति से निपटने और असमंजस दूर करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व की ओर से ठोस पहल की जाएगी।
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कराए हैं सर्वे
यद्यपि, पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव के लिए से अलग-अलग सर्वे कराए गए हैं। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम और प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी ने अलग-अलग सर्वे करा जमीनी हालात का जायजा लिया है। इन दो के अतिरिक्त तीसरी सर्वे रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से भी सौंपी गई है। ये तीनों रिपोर्ट अब वरिष्ठ कांग्रेस नेता भक्त चरण दास की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग कमेटी के पास हैं।
जिताऊ प्रत्याशियों का चयन है प्राथमिकता
स्क्रीनिंग कमेटी इसी सप्ताह एक-दो दिन में अपनी रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव समिति को सौंप देगी। पार्टी के रणनीतिकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव में प्रदेश की पांच सीटों पर जीत के लिए हर दांव को आजमाया जाएगा। जिताऊ प्रत्याशियों का चयन ही केंद्रीय नेतृत्व की शीर्ष प्राथमिकता है। साथ में यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आंतरिक कलह जीत की राह में व्यवधान उत्पन्न न को, इसे ध्यान में रखकर पार्टी आवश्यकता के अनुसार दिग्गजों को साधने के लिए कदम उठा भी सकती है।
प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी ने किया था खास दौरा
प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी प्रदेश का दौरा कर पांच लोकसभा सीटों हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा, पौड़ी और टिहरी में प्रत्याशियों को लेकर फीडबैक प्राप्त कर चुकी है। स्क्रीनिंग कमेटी ने बीते जनवरी माह में दो दिवसीय दौरे में विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों, वरिष्ठ नेताओं, प्रदेश पदाधिकारियों, लोकसभा सीटों के लिए बनाए गए पांच समन्वयकों के साथ बंद कमरे में अलग-अलग बातचीत की थी। इसके बाद गत फरवरी माह में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने भी लोकसभा चुनाव की तैयारियों और संभावित प्रत्याशियों के संबंध में बंद कमरे में सभी से अलग-अलग बात कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली थी।
पौड़ी लोकसभा सीट
इस सीट पर वर्ष 2019 में कांग्रेस ने मनीष खंडूड़ी को प्रत्याशी बनाया था। मनीष पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मेजर जनरल (सेनि) भुवनचंद्र खंडूड़ी के पुत्र हैं। पौड़ी सीट पर कांग्रेस के टिकट के प्रमुख दावेदारों में मनीष खंडूड़ी के साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत और प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नाम बताए जा रहे हैं।
हरिद्वार लोकसभा सीट
वर्ष 2019 में इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक अंबरीष कुमार को प्रत्याशी बनाया था। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, उनके पुत्र वीरेंद्र रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत और शूरवीर सिंह सजवाण के नाम भी दावेदारों में सम्मिलित बताए जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस सीट पर अपने पुत्र वीरेंद्र रावत की दावेदारी का समर्थन भी किया है।
टिहरी लोकसभा सीट
इस सीट पर वर्ष 2019 में कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह को प्रत्याशी बनाया था। पार्टी के सर्वे में इस सीट के लिए प्रीतम सिंह की दावेदारी को मजबूत माना गया है। यद्यपि, प्रीतम सिंह स्वयं को टिकट की दौड़ से बाहर बता चुके हैं। उन्होंने हाल ही में नई दिल्ली में प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा से भेंटकर टिहरी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने में असमर्थता व्यक्त की। साथ में टिहरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत संगठन में की गई नियुक्तियों पर सवाल भी उठाया। इस सीट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, विधायक विक्रम सिंह नेगी, दीपक बिजल्वाण व नवीन जोशी को दावेदार माना जा रहा है।
नैनीताल-यूएसनगर लोकसभा सीट
इस सीट पर वर्ष 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। पूर्व विधायक रणजीत रावत, दीपक बल्युटिया, गणेश उपाध्याय, पूर्व सांसद महेंद्रपाल, पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी व विधायक आदेश चौहान को टिकट के दावेदारों में सम्मिलित बताया जा रहा है।
अल्मोड़ा लोकसभा सीट
इस सीट पर वर्ष 2019 में कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाया था। प्रदेश संगठन की ओर से तैयार किए गए पैनल में पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य एवं आशा टम्टा के नाम सम्मिलित बताए जा रहे हैं। यद्यपि, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य इस सीट पर टिकट की दौड़ में सम्मिलित होने से ही इनकार करते हैं।