पीलीभीत। उत्तराखंड में स्थित बाबा नीम करोली धाम जा रहा लखनऊ का एक परिवार रास्ता भटक गया। उनकी कार चूका गेट तक पहुंच गई। वहां फारेस्टर ने कार रोककर परिवार को डराया धमकाया और फिर रेंजर को बुला लिया।
रेंजर ने इस परिवार के सभी सदस्यों के मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिए। छोड़ने के एवज में पचास हजार रुपये मांगे गए। इतना पैसा न होने की बात कही गई, तब दस हजार रुपये में छोड़ना तय हुआ।
परिवार के पास कुल 6200 की नकदी निकली, जिसे फारेस्टर ने ले लिया। इसके बाद शेष 3800 रुपये खाते में ट्रांसफर कराए। इसके बाद परिवार को छोड़ दिया गया। पीड़ित ने मामले की शिकायत प्रभागीय वनाधिकारी को भेजकर कार्रवाई की मांग की है।
वनाधिकारी को भेजे शिकायती पत्र
लखनऊ में जानकीपुरम स्थित 13 A, यशोदापुरम निवासी मुनेंद्र पाल सिंह प्रभागीय वनाधिकारी को भेजे शिकायती पत्र में कहा कि अपने परिवार के सदस्यों के साथ वह शनिवार को बाबा नीम करौली धाम के दर्शन करने जा रहे थे। जब उनकी गाड़ी बाइफरकेशन पहुंचीं, वहां भूल वश बाइफरकेशन के किनारे से जिस रोड पर जिप्सी जा रही थी, उसके पीछे-पीछे उनकी कार चूका के गेट तक पहुंच गई।
जुर्माने की दी धमकी
वहां फारेस्टर सुरेंद्र गौतम ने रोक लिया। कहा कि ये रास्ता निषिद्ध है। आप लोग यहां कैसे आ गए। तब उनसे कहा कि कोई भी नोटिस बोर्ड या गार्ड नहीं था, जिसकी वजह से वे लोग इस रास्ते पर आ गए। उसके पश्चात फारेस्टर ने रेंजर सहेंद्र यादव को बुला लिया। दोनों ने डराया धमकाया, जेल भेजने तथा पचास लाख रुपये जुर्माने की धमकी दी। साथ ही सभी के मोबाइल फोन ले लिए। करीब तीन घंटे जंगल में बैठाए रखा।
जंगल में लेकर गए और मांगे 50 हजार रुपये
रेंजर उन सभी को लेकर जंगल में लेकर चले गए। फारेस्टर ने उनसे फोन पर बात करके पहले 50 हजार फिर 40 हजार, इसके बाद 20 हजार रुपये मांगे। अंत में 10 हजार रुपये में निपटारा करने की बात की। परिवार के पास कुल नकद 6200 रुपया निकला। जिसको जंगल में ही ले लिया गया।
तब रेंजर ने अपनी गाड़ी से सभी के फोन वापस भिजवाए। उसके बाद बची हुई शेष धनराशि 3800 रुपये फारेस्टर सुरेंद्र परिवार को चौकी पर ले जाकर किसी तोताराम (जिसका मोबाइल नंबर 7000000003) पर ट्रांसफर करा लिए।
रुपये कराए ट्रांसफर
पीड़ित का कहना है कि रुपये ट्रांसफर करते समय उनके मोबाइल फोन में नेटवर्क नहीं था तो फारेस्टर ने अपने फोन का वाई-फाई देकर रुपये ट्रांसफर करवाए। पीड़ित ने मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।
अनाधिकृत रूप से कार सवार लोग चूका गेट पर पहुंचे थे। कार में चार लोग सवार थे, जिनमें एक शराब के नशे में था। जो दस हजार रुपये वसूले गए, वह जुर्माना की धनराशि है। जिसकी रसीद काटी गई है। उन लोगों के पास नकद रुपये कम पड़ जाने के कारण हो सकता है कि किसी वन कर्मचारी के खाते में शेष धनराशि ट्रांसफर कराई गई हो। शिकायतकर्ता जो भी आरोप लगा रहे, वे पूरी तरह निराधार हैं। सहेंद्र यादव, रेंजर महोफ रेंज