बढ़ती बेरोजगारी के कारण युवाओं के फैसले गोल मोल : शैलेंद्र यदुवंशी

आज भारत में बढ़ती बेरोजगारी के कारण देश में त्राहि त्राहि मची हुई है युवाओं डिप्रेशन से जूझ रहा है लेकिन अगर किसान परिवार जो युवा घर दूर पढ़ने, और किसी भी परीक्षा की तैयारी करने जाते थे उनके रास्ते आज दीवार बनकर खड़ी हुई है देश नेता मालामाल हो रहे है युवाओं के सपनो पर पानी फेर रहे है हमारे देश में शत प्रतिशत लोग किसान है शत प्रतिशत युवा वर्ग वर्ग किसान परिवार में पैदा हुए और गावों अब भी निवास कर रहे आज का युवाओं के सपने बहुत बड़े है लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे है जिसका सबसे बड़ा कारण है देश पंद्रह प्रतिशत जन संख्या सामान्य वर्ग की है बाकी बची पच्चासी प्रतिशत जन संख्या ओबीसी एससी एसटी वर्ग की है.

आप सब जानते है पच्चासी प्रतिशत समाज मध्यम वर्गीय या किसान परिवार से है इन घरों के बच्चे जो बाहर पढ़ने जाते थे आज के इस महंगाई दौर में शहर में रहने को तरस रहे है जा का हर युवा कुछ दिन पहले सोचता था अगर सरकारी नौकरी मिल जायेगी तो मां बाप के सपने पूरे कर देंगे बढ़ती बेरोजगारी ने लाखो मां बाप के सपनो पर पानी फेरने का काम किया है आज के आधुनिक युग में युवाओं के पास खर्चे तो बहुत है पर पैदावार नही है पढ़ लिख कर भी मां बाप के ऊपर बोझ समान है हमने काम से काम महीने सौ युवाओं से अलग अलग मीटिंग की जिसमें अलग अलग तरीके की बात की जैसे रोजगार , शादी , समाजिक व पारिवारिक बाते भी की ऐसे किया कि सारी फैंसले ताजे मन से हां या न में जवाब नहीं दिया युवाओं के गोल मोल फैसले देश को गड्ढे में ले जा सकते है.

शादी करने की उम्र में आजकल का युवा साथी नौकरी का फॉर्म भरने का इंतजार कर रहा है युवाओं का मानना है वर्तमान सरकार नहीं तो आने वाली सरकार मुझे नौकरी देगी तब मैं शादी करूंगा इस बात पे अगर आप बैठ को सोंचो तो एक बड़ी चीख अंदर से निकलेगी वो चीख किसी और की नहीं हमारे और आपके बीच के मां बाप की होगी और हमारे आपके बीच की घर में बैठी जवान बहन की होगी क्योंकि मां बाप ने सोचा था बेटे को सरकारी नौकरी मिल जायेगी तब बेटी की अच्छे घर में शादी करूंगा और हमारे जीवन में कुछ परिवर्तन आ जायेगा लेकिन आज की वर्तमान सरकार किसान परिवारों के मंसूबे पे पानी फेरने का काम किया क्योंकि ये चीख किसान की है आज का युवा अपने घर वालो को चीख देखी नहीं जाती और समाज पूछता है आजकल बेटा क्या कर रहे हो उनको भी समझाना है परिवार को भी समझाना है जीवन आने पारिवारिक जीवन से भी तालमेल बिठाना है ये उनके सामने बड़ी मुसीबत का दौर है.

✍️✍️ शैलेन्द्र यदुवंशी ✍️✍️

Related Articles

Back to top button