क्या इस बार निकल पाएगी सपा के भंवर से कौशल की नैया ?

  • मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र के टेढ़े-मेढ़े रास्तों की तरह गजब सियासी गुत्थियां और इलाके की समस्याओं के मकड़जाल की तरह उलझे समीकरण
  • लोग नाराज हैं पर, मोदी नाम का सहारा कौशल को बंधा रहा है उम्मीदें,लोग पीएम मोदी को रहे जिता
  • चुनाव का बिगुल बजते ही अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे सभी राजनीतिक दल

लखनऊ। आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं, कि कौन कितना दांव मारेगा। यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता। मगर चुनाव का बिगुल का बिगुल बजने के बाद सभी राजनीतिक दलों ने जोरशोर की तैयारियां शुरू कर दी हैं,और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं।वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।लेकिन मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र के टेढ़े-मेढ़े रास्तों की तरह गजब सियासी गुत्थियां और इलाके की समस्याओं के मकड़जाल की तरह उलझे यहां के समीकरण। राजधानी लखनऊ से उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर और बाराबंकी संसदीय सीट को जोड़ने वाली लखनऊ की दूसरी सीट मोहनलालगंज (सुरक्षित) में सांसद कौशल किशोर की नैया मोदी के सहारे सपा के भंवर से निकलने की कोशिश कर रही है। लोग नाराज हैं। पर, मोदी नाम का सहारा कौशल की उम्मीदें बंधाता है। लोग पीएम मोदी को जिता रहे हैं।मोहनलालगंज लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधान सभा क्षेत्र आते हैं। जिसमें सिधौली,मलिहाबाद , बख्शी का तालाब, सरोजिनी नगर और मोहनलालगंज शामिल है।और इस बार यहां सभी विधायक भी भाजपा पार्टी के ही हैं।
बता दें कि इस क्षेत्र में पहला लोकसभा चुनाव 1962 में हुआ जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गंगा देवी ने जीत दर्ज कीं। गंगा देवी 3 बार लगातार इस सीट से जीतीं लेकिन 1977 में उन्हें भारतीय लोक दल के राम लाल कुरील से करारी हार मिली लेकिन 1980 में राम लाल कुरील कांग्रेस के कैलाश पति से हार गये। 1984 में कांग्रेस से जगन्नाथ प्रसाद चुनाव में इस सीट पर कब्जा जमाया। इस क्षेत्र में कांग्रेस की यह आखिरी जीत थी।1989 में जनता दल ने यहां अपना खाता खोला और सरजू प्रसाद यहां के सांसद बने लेकिन अगले चुनाव में जनता दल अपनी सीट नहीं बचा पायी। 1991 में भारतीय जनता पार्टी के छोटे लाल ने यहां अपना खाता खोला और 1996 में पूर्णिमा वर्मा ने चुनाव में इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रही। 1998 के चुनाव में इस सीट पर सपा से रानी चौधरी ने कब्जा जमाया और अगले तीन चुनाव तक लगातार सपा यहां से जीतती रही है। फिर 2004 में सपा से जय प्रकाश चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में सुशील सरोज सपा से जीत हासिल करने में कामयाब रहीं।2014 में मोदी लहर में इस सीट पर भाजपा का कब्जा हो गया। फिर 2019 में भाजपा से ही नेता कौशल किशोर सासंद रहे और वर्तमान में यहां से भाजपा नेता कौशल किशोर सासंद है। बताते चले कि यह मतदाता जिस करवट होते हैं, सीट उसी उम्मीदवार की होती है। वर्तमान में देखा जाएं तो भाजपा के कौशल किशोर सांसद हैं।वहीं इस बार भी मतदाता यहां उज्ज्वला योजना, पीएम आवास,मुफ़्त राशन, शौचालय और किसान सम्मान राशि की खातिर ही नहीं,बल्कि पाकिस्तान को सबक सिखाने और अयोध्या में राम मंदिर सहित अन्य हिंदुत्व से जुड़े स्थलों के विकास के कारण भी।भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में नहीं बल्कि मोदी जी के पक्ष में मतदान करेंगे। लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने इस सीट पर आरके चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। यह सीट एक दशक पहले तक समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दो चुनावों से यहां कमल खिल रहा है।लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है, कि इस बार के समीकरण थोड़े बदले हुए हैं। इसका फायदा विपक्षी गठबंधन को मिल सकता है और समाजवादी प्रार्टी के आरके चौधरी को जीत मिल सकती है।बताते चले कि यहां मतदाता जिस करवट होते हैं, सीट उसी उम्मीदवार की होती है। वर्तमान में देखा जाएं तो भाजपा के कौशल किशोर सांसद हैं। जो दो बार से लगातार जीत हासिल करने के बाद तीसरी बार 2024 लोकसभा चुनाव भी अपने पाले में करने में लगे हैं। तो वहीं सपा भी सीट पर कब्जा जमाने को लेकर बेताब हो रही हैं।लेकिन इस बार भी कौशल किशोर मोदी लहर मानकर चुनाव एकतरफा मान रहें हैं,और अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं।

इन वादों को कब पूरा करेंगे मोदी

मलिहाबाद फलपट्टी क्षेत्र के बाग मालिकों का दर्द है कि मोदी ने आम किसानों के लिए कई वादे किए,पर एक भी पूरा नहीं हुआ।मलिहाबाद के आनंद अवस्थी व महमूद नगर के सोनीष वर्मा कहते हैं कि सपा और भाजपा में मुकाबला है।इन लोगों का यह भी कहना कि अखिलेश यादव ने मंडी बनवानी शुरू की, उसका काम पूरा भी हो गया।लेकिन मंडी बने कई साल हो गए, लेकिन अभी तक मंडी शुरु न होने से आम बागवानों का हर साल काफी नुकसान हो रहा है।दुनिया में मशहूर मलिहाबादी आम निर्यात की न सुविधा है, और न ही यहां आम की फसल सुरक्षित रखने की ही कोई योजना है।इसी तरह से रहीमाबाद के सुशील गुप्ता व दीपक गुप्ता बताते हैं कि यहां विगत कई वर्षों से कन्या इंटर व डिग्री कालेज की मांग चली आ रही है।लेकिन किसी नेता को क्षेत्र अभी तक यह मांगें नहीं दिखाई दी हैं।बस जब चुनाव आ जाता है। तब नेता सभी मांगों को पूरा करने का वादा करतें हैं, लेकिन जीतने के बाद तो उनके दर्शन ही दुर्लभ हो जाते हैं।बीकेटी क्षेत्र में लोगों का दर्द है कि न पहले वालों ने ध्यान दिया और न मौजूदा सांसद ने।यहां फलपट्टी क्षेत्र में आम बागान के किसानों के लिए सुविधाओं का अभाव और छुट्टा पशुओं के आश्रय स्थलों की दुर्दशा एवं फलपट्टी क्षेत्र में संचालित अवैध फैक्ट्रियां, हानिकारक अधिष्ठान व आवासीय योजनाएं भी क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है।

मोदी मैजिक का भरोसा बीकेटी

बीकेटी बार एसोशियेशन के अध्यक्ष माता प्रसाद और बीकेटी बार के पूर्व महामंत्री बलवीर सिंह भी कहते हैं, चुनाव कौशल का नहीं, मोदी का है। पाकिस्तान को सबक सिखाने का माद्दा मोदी में ही है। इसलिए कौशल हों या कोई और होता तो, उसे वोट देते।समाजसेवी रामदेव तिवारी कहते हैं, इटौंजा क्षेत्र में सरकारी डिग्री कॉलेज न होना तकलीफ देता है। स्थानीय सांसद के काम और छवि पर वोट मिलना होता तो न मिलता।इटौंजा रेलवे क्रॉसिंग पर मिली अहमदपुर खेड़ा की पूनम कहती हैं,कि मेरा मकान जर्जर होने के कारण बरसात में गिर गया।झोपड़ी में रह रही हूं, कई बार अपनी फरियाद लेकर संपूर्ण समाधान दिवस में गई लेकिन किसी ने मेरी फरियाद नहीं सुनी। कौशल नाहीं मिले और न काम किहिन। मुल मोदी का तौ जितावे का ही है। 2014 और 2019 में भाजपा को वोट दिया। पर, सांसद के दर्शन तक नहीं हुए।

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