आखिर क्यों महिलाएं नहीं निकल पाती हैं टॉक्सिक रिलेशनशिप से, यहाँ जाने…

नई दिल्ली। मेरे पड़ोस में एक कपल है, जिनके घर से हमेशा लड़ने-झगड़ने की आवाजें आती रहती हैं। कभी उन्हें साथ आपस में प्यार से बातचीत करते हुए मैंने क्या, आजूबाजू में भी किसी ने नहीं देखा है। ताज्जुब की बात है कि इनकी शादी को लगभग 7 साल हो चुके हैं। सोचकर हैरानी हुई कि इतने सालों से ये एक-दूसरे को कैसे और क्यों झेल रहे हैं। जिसके लिए मैंने उस महिला से बात की। कुछ कारण तो उसने साफतौर पर मुझे बताएं और कुछ इनडायरेक्टली। आइए जानते हैं इस बारे में।

इन वजहों से महिलाएं नहीं निकल पाती टॉक्सिक रिलेशनशिप से

लोग क्या कहेंगे
जो सबसे बड़ी वजह है ऐसे रिलेशनशिप में भी बने रहने की वो है कि लोग क्या कहेंगे। महिलाओं को इसका डर सबसे ज्यादा होता है और इसी वजह से वो चाहकर भी आवाज उठाने नहीं उठा पातीं। हमारे समाज में आज भी पति के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं को सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता। कई बार तो लोग महिलाओं में ही खोठ निकालने लगते हैं। उनके साथ लोगों का बिहेवियर में भी बदलाव नजर आने लगता है। यही सब सोचकर वो ऐसे रिलेशनशिप को झेलना पसंद करती हैं, लेकिन अलग होना नहीं।

फाइनेंशियली डिपेंडेंट
टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलने में महिलाओं को ये चीज़ भी रोकती है। जब कोई महिला पूरी तरह से पति पर निर्भर रहती है, तो उसे अलग होने से पहले कई सारी चीज़ों के बारे में सोचना पड़ता है। खासतौर से अगर आपके बच्चे भी हों तो। इसलिए महिलाओं को बचपन से आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है, जिससे वो अपने लिए खड़ी हो सकें और ऐसी चुनौतियों का सामना करने की हिम्मत जुटा सकें।

कॉन्फिडेंस की कमी
टॉक्सिक रिलेशनशिप को झेलने की एक बड़ी वजह महिलाओं में आत्मविश्वास की भी कमी होती है। ये समस्या भी पार्टनर पर डिपेंडेंसी की वजह से ही आती है। अलग होने के बाद लाइफ कैसी हो जाएगी, कैसे चीज़ें मैनेज होंगी…ये घबराहट पैदा कर देता है।

इमोशनल डिपेंडेंसी
महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा इमोशनल होती हैं। साथ रहते हुए वो पार्टनर पर फाइनेंशियली ही नहीं बल्कि इमोशनली भी डिपेंडेट हो जाती हैं। ये चीज़ भी टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलने में आड़े आती है। इस वजह से कई बार महिलाएं आवाज उठाने के बजाय चुप रहना पसंद करती हैं।

अकेलेपन का डर
नो डाउट अकेलापन एक अलग तरह का टॉर्चर है, लेकिन टॉक्सिक रिलेशनशिप में रहने से कहीं गुना ज्यादा बेहतर होता है। महिलाएं अकसर अकेलेपन के बारे में सोचकर अलग होने से कतराती हैं। आत्मविश्वास की कमी, इमोशनल डिपेंडेंसी इसमें और ज्यादा सपोर्ट करती है।

बदलाव की उम्मीद
एक जो और अजीब बात देखने को मिलती है टॉक्सिक रिलेशनशिप को झेलने की वो है कि महिलाओं को पॉजिटिव बदलाव की उम्मीद होती है। उन्हें लगता है कि उनका प्यार, बर्ताव एक न एक दिन पार्टनर के इस बिहेवियर में जरूर बदलाव लाएगा। उम्मीद पालना गलत नहीं है, लेकिन हजारों कोशिशों के बाद भी अगर पार्टनर का बर्ताव नहीं बदल रहा, तो यहां आपको खुद को सुधारने की जरूरत है।

Related Articles

Back to top button