किसके सिर सजे का ताज, किसको लगेगा राजतिलक

ऐन वक्त पर रूक जाती है विकास की गाड़ी, दौड़ती है सिर्फ बिरादारी एक्सप्रेस की गाड़ी

बीजेपी ने क्षत्रिय, सपा ने ब्राह्मण तो बसपा ने खेला यादव कार्ड

बलिया। लोकसभा में सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है। यहां करीब तीन लाख ब्राह्मण हैं। इसके बाद यादव, राजपूत और दलित वोट। वहीं अगर जातीय लिहाज से देखें तो इस लोकसभा सीट का जातीय समीकरण काफी उलझा हुआ है। बलिया में राजनीतिक दलों के दावे भले ही विकास के हों, लेकिन चुनाव आते-आते लड़ाई जाति-बिरादरी तक सिमट कर रह जाती है। चुनावी रण में उतरी पार्टियां जातिगत आंकड़ों की विसात बिछाने में जुटी हैं। बसपा लल्लन सिंह यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने जातियों का गणित सेट करते हुए सांसद नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है। वही सपा ने एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए सनातन पांडेय को प्रत्याशी बनाया है। जिससे चुनावी संग्राम के मुकाबला काफी रोचक हो गया है। अब देखना यह है कि मतदाता किसके सिर पर तिलक लगाने का काम करती है।

आपको बता दे कि बलिया संसदीय सीट पर छिड़े चुनावी संग्राम में कहीं जाति व धर्म की बात की जा रही है, तो कहीं धनबल व बाहुबल के आधार पर मत बटोरने की कवायद चल रही है। सभी दल इसके लिए गांव-गांव में सियासी गोटी बिछाने में जुटे हैं। जातीय लिहाज से देखें तो बलिया लोकसभा सीट का जातीय समीकरण काफी उलझा हुआ है। इस कारण इस सीट पर चुनावी मुकाबला काफी अलग प्रकार का होता है। बलिया लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है। यहां करीब तीन लाख ब्राह्मण हैं। इसके बाद यादव, राजपूत और दलित वोट हैं। तीनों वर्ग की आबादी करीब ढाई-ढाई लाख है। मुस्लिम वोट बैंक भी इस क्षेत्र में करीब एक लाख है। बलिया के द्वाबा और नगर विधानसभा में ब्राह्मण सबसे अधिक हैं। ऐसे में अब जबकि भाजपा ने राजपूत बिरादरी के नीरज शेखर को टिकट थमा दिया है तो सपा ने एक बार फिर सनातन पांडेय पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार घोषित किया है। जबकि बसपा ने लल्लन सिंह यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। बलिया लोकसभा सीट में बलिया जिले की तीन बैरिया, बलिया नगर और फेफना तथा गाजीपुर जनपद की दो जहुराबाद और मुहम्मदाबाद विधान सभा सीटें आती है।

बलिया संसदीय सीट का जातीय समीकरण

जाति जनसंख्या प्रतिशत में..
ब्राह्मण 15 प्रतिशत
राजपूत 13 प्रतिशत
भूमिहार 8 प्रतिशत
यादव 12 प्रतिशत
बौद्ध 0.07 प्रतिशत
ईसाई 0.14 प्रतिशत
जैन 0.01 प्रतिशत
मुसलमान 8.03 प्रतिशत
अनुसूचित जाति 15.5 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति 2.6 प्रतिशत
सिख 0.03 प्रतिशत
अन्य 18 प्रतिशत

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