ईवीएम का फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है। भारत में ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल 1982 में केरल के 70-पारुर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था। ये मशीनें मतदान प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिक रूप से करने के लिए उपयोग की जाती हैं। ईवीएम में दो इकाइयां होती हैं- बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट। पहली बार ईवीएम का उपयोग 1982 में केरल में हुआ था। ईवीएम का उपयोग भारत में 2004 में लोकसभा के साधारण चुनावों से किया जा रहा है। इन मशीनों ने मतदान प्रक्रिया को अधिक तेज और पारदर्शी बनाने में मदद की है।
कैसे करतें है वोट
मतदान यूनिट मतदाता के सामने होती है। इसमें उम्मीदवारों के नाम और पार्टी चिह्न होते हैं। मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के सामने बटन दबाकर उसे वोट दे सकता है। मतदान करने के बाद, मतदान यूनिट एक आवाज के रूप में संकेत देती है और एक हरे रंग की लाइट जल जाती है जो यह दर्शाती है कि मतदान सफलतापूर्वक हो गया है।
ईवीएम का डिजाइन
ईवीएम को दो सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से निर्वाचन आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार और डिज़ाइन किया गया है। कंट्रोल यूनिट मतदान यूनिट को नियंत्रित करती है। यह मतदान के परिणामों को एकत्र करती है और उन्हें बाद में गिनती के लिए उपयोग किया जाता है।
इन नियमों का करना होगा पालन
मतदान केंद्र पर जाएं और मतदाता सूची में अपना नाम खोजें।
मतदाता सूची में अपना नाम खोजने के बाद, मतदान अधिकारी से अपना मतदाता कार्ड प्राप्त करें।
मतदान अधिकारी से अपना मतदाता कार्ड दिखाएं और अपने अंगूठे का निशान मतदाता सूची में दर्ज करें।
मतदान यूनिट के सामने जाएं और अपने पसंदीदा उम्मीदवार के सामने बटन दबाएं।
मतदान करने के बाद, मतदान यूनिट एक ध्वनि संकेत देगी और एक हरा प्रकाश जल जाएगा।
ईवीएम मशीन का निर्यात किन देशों को किया गया
भारत द्वारा नेपाल, भूटान, नामीबिया, फिजी और केन्या जैसे देशों ने ईवीएम मशीन का निर्यात किया गया है। नामीबिया द्वारा 2014 में संपन्न राष्ट्रपति चुनावों के लिए भारत में निर्मित 1700 “नियंत्रण इकाई” और 3500 “मतदान इकाई” का आयात किया गया था। इसके अलावा कई अन्य एशियाई और अफ्रीकी देश भारतीय ईवीएम मशीनों की खरीद में रूचि दिखा रहे हैं।