- जड़ माहू कीट की पहचान कर किसान आसानी से कर सकते हैं नियंत्रण
निष्पक्ष प्रतिदिन/लखनऊ
गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट का नियंत्रण पूरे फसल चक्र के दौरान यानी की बुआई से लेकर कटाई तक समय-समय पर विभिन्न फसलों पर कीट-रोग लगते हैं, जिससे फसलों की पैदावार में कमी आ जाती है। किसान इन कीट-रोगों की समय पर पहचान कर फसल को होने वाले नुक़सान से बचा सकते हैं। इसी तरह अभी गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट लगने की संभावना बनी हुई है। चंद्रभानु गुप्ता कृषि महाविद्यालय के सहायक प्राचार्य डा.सत्येंद्र सिंह चौहान ने गेहूं की फसल में लगने वाले जड़ माहू कीट से बचाव के लिए किसानों को सलाह दी है, जिससे किसान जड़ माहू कीट की पहचान कर उसका नियंत्रण आसानी से कर सकते हैं।
डा.सत्येंद्र ने किसानों को दी गई सलाह में बताया है कि मौसम की प्रतिकूलता के कारण गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना है। इसके लिए किसान गेहूं की फसल की लगातार निगरानी करते रहें।उन्होंने यह भी बताया कि यह बीट गेहूं फसल में पौधों की जड़ों से रस चूसता है जिसके कारण पौधा पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूखने लगता है। शुरुआत में खेतों में जगह-जगह पीले पड़े हुए पौधे दिखाई देते है, बाद में पूरा खेत सूखने की संभावना रहती है।यह कीट हल्के पीले रंग से गहरे हरे रंग का होता है जो जड़ों का रस चूसता हुआ दिखाई पड़ता है। गेहूं के पौधों को जड़ से उखाड़ने पर ध्यानपूर्वक देखने से यह कीट आसानी से दिखाई देता है।जड़ माहू कीट नियंत्रण के लिए किसान गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट के नियंत्रण के लिए किसान क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. 1 से 2 लीटर प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जीआर 15-20 किलोग्राम हेक्टेयर यूरिया या बालू मिट्टी में मिलाकर सिंचाई से पूर्व खेत में डालें। या इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200-250 एमएल हेक्टेयर या थायोमिथाक्जॉम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 100 ग्राम हेक्टेयर या क्लोरोपायरिफोस 20 प्रतिशत ईसी 1 से 2 लीटर प्रति हेक्टेयर पानी में घोल बनाकर पूरे खेत में अच्छी तरह से छिड़काव करें। यह दवाएं सिस्टेमिक प्रकार की होती है जिनसे पूरा पौधा जहरीला हो जाता है और जब कीट रस चूसता है तो वह मर जाता है।