बाराबंकी। आधुनिक भारत के सामाजिक उत्थान में सबसे अधिक प्रभाव डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के योगदान का रहा है। डॉ. आंबेडकर ने सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हुए छुआछूत के विभेदीकरण के खिलाफ जीवन पर्यंत आवाज उठाई।
ज़िलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने लोकसभागार में डॉ भीमराव आंबेडकर की 133 वीं जयंती के अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उक्त विचार व्यक्त किये। ज़िलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने रविवार को लोकसभागार में डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के चित्र पर पुष्पार्चन किया। इसके बाद सम्पन्न कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन से हम सबको प्रेरणा लेने की जरूरत है। वह जब पढ़ने जाते थे तो वहां पर उन्हें छुआछूत का सामना करना पड़ता था। डॉ आंबेडकर प्रतिभावान थे, उन्होंने अपनी जातिगत पृष्टभूमि के कारण भेदभाव का सामना करते हुए हिम्मत नहीं हारी और लगातार शिक्षा प्राप्त करते रहे। उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की। बाद में उन्हें अन्य डिग्रियां भी प्रदान कीं गईं। मैट्रिक की पढ़ाई के बाद बॉम्बे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एलफिंस्टन कॉलेज से पढ़ाई करने वाले वह अपने समुदाय के सबसे पहले छात्र थे। संविधान के निर्माण में भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर का अद्वितीय योगदान रहा है। ज़िलाधिकारी ने कहा कि आज उनके संवैधानिक व सामाजिक योगदान को पढ़ने व आत्मसात करने की जरूरत है, समाज से भेदभाव को मिटाने की जरूरत है, जातिगत भेदभाव समाज व देश की तरक्की में बाधक है। इस अवसर पर एडीएम अरुण कुमार सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हम सब डॉ आंबेडकर के कार्यों पर चर्चा करते हुए उनसे कुछ सीखें तभी इस महापुरुष की भावना को मूर्तरूप देने का संकल्प पूरा हो पायेगा। शिक्षित बनो, संगठित बनो का नारा देने वाले डॉ आंबेडकर जीवन पर्यंत समाज को जागृत करते रहे। एसडीएम नवाबगंज विजय त्रिवेदी ने कहा कि डॉ आंबेडकर ने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिये एक सोच विकसित की थी, जिसे हम सभी लोग आने वाली 20 मई को शतप्रतिशत अपने मताधिकार का प्रयोग करके लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में अपना योगदान निभाएंगे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य अधिकारियों ने भी अपने-अपने विचार रखे।