ट्रेन हादसा में स्वयंसेवक ने चार लोगों को बचाया, पत्नी-बहनोई को नहीं बचाने का दुख

लखनऊ । मदुरै जंक्शन पर जिस वक्त ट्रेन हादसा हुआ उसमें यात्रा कर रहे सीतापुर के स्वयंसेवक ने चार लोगों की जान बचायी। लेकिन अपनी पत्नी औन बहनोई को नहीं बचा सके। उन्होंने संघ के संस्कार और मंत्र ‘मैं नहीं तू’ को चरितार्थ किया। उन्होंने इस रेलवे हादसे में पहले समाज के लोगों को बचाने का प्रयास किया और सफल भी रहे, लेकिन उन्होंने अपनी जीवन संगिनी तथा बहनोई को नहीं बचा सके। जब उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया तो लोगों ने उन्हें सांत्वना देते हुए ढांढस बंधा रहे हैं।

सीतापुर के आदर्शनगर में रहने वाले शिवप्रताप सिंह चौहान भगीरथ ग्रामीण बैंक से सेवानिवृत्त है। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक भी है। वे अपने पत्नी मिथिलेश, बहनोई, शत्रुदमन सिंह (65) उनकी पत्नी और परिवार के साथ 17 अगस्त को लखनऊ से (पुनालुर-मदुरै एक्सप्रेस) ट्रेन में बैठकर रामेश्वर यात्रा पर निकले थे। उन्होंने बताया कि 26 अगस्त की सुबह मदुरै यार्ड जंक्शन के पास पुनालुर-मदुरै एक्सप्रेस आग लग गई। इससे ट्रेन में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोग ट्रेन से कूद-कूदकर अपनी जान बचाने लगे। इस दौरान उन्होंने कंधे पर लादकर चार लोगों की जान बचायी है। लेकिन वे अपनी पत्नी और बहनोई को नहीं बचा सकें। इस हादसे में उन दोनों की जान चली गई है। मैंने प्रयास भी किया लेकिन सफल नहीं हो सका।

इस हादसे में चार लोगों की जान बचाने वाले स्वयंसेवक ने पत्नी और बहनोई को खोकर काफी आहत हैं। उन्होंने अपना दर्द सोशल मीडिया के फेसबुक अकाउंट पर बयां किया है। अब उनके परिवार और रिश्तेदार उन्हें सांत्वना दे रहे हैं।

यात्रा के दौरान साझा किया था वीडियो और फोटो

स्वयंसेवक ने 23 अगस्त को बंगलौर में इस्कॉन मंदिर, गणेशन मंदिर, लालबाग बाटिनकल गार्डेन भ्रमण के दौरान परिवार और यात्रा में शामिल यात्रियों के साथ फोटो साझा किया था। इससे पहले लखनऊ से निकलने के दौरान यात्रा, भोजन और भजन की फोटो और वीडियो अपनी फेसबुक आईडी पर अपलोड की थी।

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