कुकिंग ऑयल फ्यूल के जरिए वर्जिन अटलांटिक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान ने भरी उड़ान

लंदन। ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम लगाने के लिए पूरी दुनिया अलग-अलग कोशिशों में जुटी है। भारत, अमेरिका और यूरोपीय देश लगातार कार्बन उत्सर्जन घटाने में जुटे हैं। दुनिया में पहली बार मंगलवार को कुकिंग ऑयल को फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल किया गया। इसका मतलब यह है कि सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल के जरिए विमान ने उड़ान भरी।

वर्जिन अटलांटिक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान ने मंगलवार (28 नवंबर ) को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से उड़ान भरी और विमान अटलांटिक महासागर को पार करते हुए न्यूयॉर्क के जेएफके एयरपोर्ट पहुंचा। बता दें कि कुकिंग फ्यूल को 100 प्रतिशत सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल कहा जाता है।

कंपनी ने साझा किया एक वीडियो
कुकिंग ऑयल के जरिए उड़ान भरने वाली ट्रान्साटलांटिक उड़ान का एक वीडियो वर्जिन अटलांटिक सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया।

पोस्ट में कंपनी ने लिखा,”38000 फीट पर इतिहास, वर्जिन अटलांटिक वर्तमान में दुनिया का पहला 100 फीसदी सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल से उड़ान भरने वाला वाणिज्यिक विमान संचालित कर रहा है।

यूके परिवहन विभाग ने विमान को दी वित्तीय मदद
वर्जिन के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन के अलावा कॉर्पोरेट, सरकारी अधिकारियों, इंजीनियरों और पत्रकारों सहित अन्य लोगों के उड़ान के समय फ्लाइट में मौजूद थे। उन्होंने कहा,”दुनिया हमेशा यह मान लेगी कि कुछ किया नहीं जा सकता, जब तक कि आप ऐसा नहीं करते।

यूके परिवहन विभाग की ओर से इस विमान को जीवाश्म ईंधन के जरिए उड़ाने के लिए 1 मिलियन पाउंड ($ 1.27 मिलियन) प्रदान किए गए थे। सरकारें लंबे समय से हवाई यात्रा को कार्बोनाइजिंग करने की बात करती रही हैं। यूके सरकार के अनुसार, यह उड़ान हवाई यात्रा को पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल बनाने की ओर एक मील का पत्थर है।

ईंधन में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल की मात्रा 50 प्रतिशत
सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) को अक्षय जैवईंधन (रिन्यूएबल बायोमास) और दूसरे इस्तेमाल किए गए ईंधन को मिलाकर तैयार किया जाता है। विमानों में केरोसीन के साथ सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल को मिक्स किया जाता है। हालांकि, ईंधन में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल की मात्रा 50 प्रतिशत रखी गई है।

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