भारतीय रेलवे के कारण अभिशप्त हुए तहसील महोली क्षेत्र के गांव

महोली सीतापुर। अभी तक आपने किसी देवी देवता या किसी ऋषि मुनि के कारण श्राप देने से श्रापित व्यक्ति या स्थान के बारे में तो देखा सुना होगा लेकिन भारतीय रेल विभाग के कारण अभिशप्त हुए जनपद सीतापुर की तहसील महोली क्षेत्र के गांवों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि महोली तहसील कार्यालय से सीतापुर की ओर लगभग दो किलोमीटर दूर स्थित उरदौली गांव की दक्षिण दिशा से निकलने वाली रेलवे लाइन पार के गांव क्रासिंग के बंद होने के चलते खुद को समाज की मुख्य धारा से अलग थलग महसूस कर रहे हैं।सूत्रों की माने तो इस क्रासिंग पर दुर्घटना ज्यादा होने के चलते इंजीनियरों द्बारा रेलवे की सहमति पर इसे पिलर लगाकर बंद करा दिया था।जिससे लगभग पिछले दस सालों से उरदौली से महज एक से चार किलोमीटर की दूरी पर बसे सढ़ियामउ,बसवैं,बेहड़ा,कैमहरा,भुड़कुड़ी सहित अन्य तमाम गावों के लोगों को उरदौली या तहसील महोली आने के लिए कुसैला होकर बारह से पंद्रह किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।
सढ़ियामऊ गांव की एक महिला ने यहां के निवासियों दर्द बयां करते हुऐ बताया कि गांव के लड़कों के लिए रिश्ते आने बंद हो गए हैं।सड़क ना होने से लोग अपनी बेटियों को गांव में नहीं ब्याहना चाहते हैं यह क्रासिंग हम लोगों के लिए अभिशाप बन गई है।वहीं गांव के निवासियों ने कहा अगर गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार होता है तो सरकारी एंम्बूलेंस क्रासिंग तक ही आ पाती है।ऐसे में ग्रामीण मरीज को ठेलिया या अन्य किसी साधन से क्रासिंग तक पहुंचाते हैं।जिससे कई बार मरीज की जान पर बन आती है।हालांकि इस क्रासिंग को खुलवाने के लिए कई राजनीतिक दलों के लोगों ने धरना प्रदर्शन किए।इसके अलावा क्रासिंग खुलवाने के लिए खुद सढ़ियामऊ के ग्रामीणों ने बीते विधानसभा चुनाव में बहिष्कार किया था।साथ ही इस बार भी ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस समस्या का समाधान न हुआ तो आने वाले लोकसभा चुनाव में भी बहिष्कार करेंगे हालांकि इस बार मौजूदा सांसद रेखाअरुणवर्मा इस मामले को सदन में उठा चुकी है।

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