21 हजार दीपो से जगमगाया विश्वविद्यालय परिसर
बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के आठवें स्थापना दिवस के अवसर पर शुक्रवार को विश्वविद्यालय सभागार में ‘विकसित भारत@ 2047 में विश्वविद्यालय का योगदान एवं स्वरूप’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को हतोत्साहित होने की नहीं, बल्कि सही दिशा में काम करने की जरुरत है। संस्कार और अनुशासन से विद्यार्थी जीवन में सफल जरूर होंगे। सही दिशा में कदम बढ़ाने से आप जीवन में सफल जरूर होंगे। अति विशिष्ट अतिथि श्रीराम तिवारी, डीजीपी (सेनि) आंध्र प्रदेश ने कहा कि आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना से ही भारत के विकास होने की सम्भावना साकार हो सकती है। गुरुकुल परम्परा में जाति- पांति का बंधन नहीं था। वहाँ विद्यार्थी के व्यक्तित्व विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता था। विशिष्ट अतिथि प्रो. लल्लन सिंह, पूर्व कुलपति, हेमवती नंदन बहुगुणा के. विवि ने कहा कि आज के स्थापना दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए और विद्यार्थियों को बेहतर से बेहतर शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
शैक्षणिक संस्थान विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दें कि विद्यार्थी राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका का बेहतर निर्वहन कर सकें। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो.संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि नकारात्मक ऊर्जा को त्यागना और सकारात्मक रूप से आगे बढ़ना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। लक्ष्य पाने का मार्ग भी पवित्र होना चाहिए। हमारा लक्ष्य विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना है। मेरा लक्ष्य भी पवित्र है और संकल्प भी दृढ़ है। इस अवसर पर डॉ. रुचिका मिश्रा की पुस्तक ‘भारत छोड़ो आंदोलन और गोरखपुर’ का लोकार्पण भी हुआ। इस अवसर पर विवि की विजेता कबड्डी टीम तथा दीक्षांत सप्ताह के विजेताओं व संयोजकों को सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर हिमाचल यादव, प्रो.आरएन मिश्रा, प्रो. बीएन पांडेय, प्रो.अशोक कुमार सिंह, प्रो. साहेब दूबे, प्रो. अखिलेश राय, प्रो. जैनेंद्र पाण्डेय, डॉ.पुष्पा मिश्रा, डॉ.अजय चौबे, डॉ.प्रियंका सिंह आदि रहे। संचालन डाॅ. प्रमोद शंकर पाण्डेय तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव एसएल. पाल ने किया।
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अश्वथामा हत:’ नाटक का हुआ मंचन
बलिया। सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत भजन, गजल और ‘अश्वथामा हत:’ नाटक आदि कार्यक्रमों का मंचन हुआ। सोनू, काशी ठाकुर, अभय कुशवाहा आदि ने प्रस्तुति दी। संचालन डाॅ. रजनी चौबे ने किया।