उत्तर प्रदेश: बेटों से परेशान पिता पहुंचे कोर्ट…

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, हमारा देश महान संतान श्रवण कुमार की भूमि है, यहां बच्चों से अपने बुजुर्ग माता-पिता की उचित देखभाल करने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन, पीड़ादायक है कि नैतिक मूल्यों में इस कदर गिरावट आ गई है कि अपना सुख- चैन जिन बच्चों के लिए माता-पिता त्याग कर जीवन खत्म कर देते हैं, वही बच्चे उन्हें बुढ़ापे में दो जून की रोटी और मोहब्बत के लिए तरसा रहे हैं।

देखभाल नहीं करने से व्यथित बूढ़े पिता की याचिका पर यह टिप्पणी न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने की है। कोर्ट ने कहा, वृद्ध माता-पिता की देखभाल बच्चों का न केवल नैतिक कर्तव्य, बल्कि कानूनी बाध्यता भी है।

मामला प्रयागराज के हंडिया तहसील का है। पिता ने कोर्ट से गुहार लगाई कि बेटों की ओर से दी जा रही प्रताड़ना को रोकने और प्यार-सम्मान से उसका भरण- पोषण करने का आदेश पारित करे। बेटों की प्रताड़ना और बेकदरी से व्यथित हंडिया निवासी छविनाथ (85) ने याचिका दाखिल करते हुए अपने बेटों के खिलाफ देखभाल न करने और भावनात्मक आश्रय देने की बजाय उसे परेशान करने के साथ ही संपत्ति से बेदखल करने की शिकायत की थी।

संपत्ति प्राप्त करने के बाद बूढ़े माता-पिता को छोड़ रहे बच्चे
आजकल कई मामलों में, बच्चे अपने माता-पिता से संपत्ति प्राप्त करने के बाद अपने बूढ़े माता-पिता को छोड़ देते हैं। जो न सिर्फ दुखद है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों में निरंतर आ रही गिरावट का प्रतीक भी है।

कैबिनेट में दोबारा लाया जाएगा भरण पोषण नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश माता-पिता भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव शीघ्र ही एक बार फिर कैबिनेट के सामने रखे जाएंगे। इसके लिए न्याय विभाग से परामर्श मांगा गया है। विगत 10 अक्तूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में रखा गया था, लेकिन संशोधनों में और अधिक स्पष्टता लाने के लिए इसे स्थगित कर दिया गया था।

एसडीएम से भी लगाई थी गुहार
बुजुर्ग पिता ने अपनी शिकायत के निवारण के लिए हंडिया के एसडीएम से भी गुहार लगाई थी। लेकिन, उसके द्वारा दिया गया प्रत्यावेदन अभी विचाराधीन है। एसडीएम को सख्त निर्देश : खंडपीठ ने एसडीएम को छह सप्ताह के शिकायतों पर सभी हितधारकों को सुनने के बाद सख्ती से विधि सम्मत निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

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