हरे पेड़ों की बेखौफ कटाई,दिखावे के लिए महकमा कर रहा सिर्फ खानापूर्ति!

  • वन विभाग एवं पुलिस के संरक्षण में गांवों में जितने पेड़ कट रहे हैं, उसकी तुलना में उतना पौधारोपण व पेड़ों का नहीं हो रहा संरक्षण
  • गत दिनों महिगंवा थानाक्षेत्र के नोहरी का पुरवा मजरे नरोसा गांव में वन माफियाओं द्वारा काटे गए प्रतिबंधित हरे पेड़ों पर वन विभाग ने कार्रवाई के बजाये की सिर्फ खानापूर्ति

निष्पक्ष प्रतिदिन/बीकेटी, लखनऊ
————————————————राम मोहन गुप्ता
पर्यावरण की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले हरे भरे पेड़ पौधे तमाम कवायदों के बाद भी बीकेटी व महिंगवा थानाक्षेत्रों के गाँवों में दिन प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं। कारण, पुलिस व वन विभाग का गठजोड़ हावी है।विभागीय उदासीनता का परिणाम है कि हरे पेड़ों की बेखौफ कटाई की जा रही है।गाँवों में जितने पेड़ कट रहे हैं, उसकी तुलना में उतना पौधारोपण व पेड़ों का संरक्षण नहीं हो रहा।

ताजा मामला कमिश्नरेट के महिगंवा थानाक्षेत्र के नोहरी का पुरवा मजरे नरोसा गांव का है।यहां वन माफियाओं ने वर्षों पुराने नीम, महुवा,जामुन व आम के 7 पेड़ों को काट दिया। ग्रामीणों का आरोप कि मौखिक शिकायत वन विभाग व पुलिस से की गई लेकिन, जिम्मेदार अफसर कारवाई करने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। प्रभागीय वनाधिकारी, वन क्षेत्राधिकारी व पुलिस से ग्रामीण शिकायत करते करते थक गए लेकिन वन विभाग के अधिकारी व पुलिस मौके पर पहुंचना मुनासिब नहीं समझी। ग्रामीणों ने वन माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होने पर चक्का जाम करने की चेतावनी दी है। वन रक्षक रोहित सिंह ने कहा कि मामले में केस काट दिया है। कहा हरे पेड़ों की कटाई से पहले किसान या मालिक को कार्यालय से अनुमति लेनी पड़ती है। यदि वह अनुमति नहीं लेता है तो अपराध की श्रेणी में आता है। यह जरूर है कि इसमें कुछ पेड़ प्रतिबंधित हैं।गौर हो कि उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत वृक्षों को काटने के लिये तीन श्रेणियां बनाई गई हैं। प्रतिबंधित श्रेणी के वृक्षों को सरकारी विकास कार्यो में बाधा की स्थिति में सूखने या रोगग्रस्त होने पर ही काटा जा सकता है। प्रतिबंधित श्रेणी के वृक्षों में आम, नीम, महुआ, पीपल और बरगद के पेड़ शामिल हैं। अपवाद को छोड़कर इनके हरे पेड़ काटे जाने पर पाबंदी है। उप प्रतिबंधित श्रेणी के वृक्षों में शीशम, कटहल सहित 21 तरह के पेड़ सम्मिलित हैं। इन्हें वन विभाग की अनुमति लेकर काटा जाता है। तीसरी श्रेणी के पेड़ों को काटने पर छूट है। इनमें बबूल, बेर, यूकेलिप्टस, जामुन के पेड़ शामिल हैं।

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