चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में योग ब्रेक को अनिवार्य कर दिया है।
उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक ने इस संबंध में गुरुवार को प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों को निर्देश जारी कर दिए हैं। यानी पढ़ाई का तनाव कम करने के लिए युवा शिक्षण संस्थाओं में योग कर सकेंगे।
वर्क प्लेस इको सिस्टम और प्रोडक्टिविटी के लिए जरुरी है योग
उच्चतर शिक्षा विभाग का तर्क है कि वर्क प्लेस इको सिस्टम और प्रोडक्टिविटी में सुधार के लिए योग ब्रेक को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।
विद्यार्थियों के अलावा प्राध्यापकों व अन्य कर्मचारियों को भी योग ब्रेक के दौरान कुछ विशेष क्रियाएं कराई जाएंगी। इसमें वही योगासन शामिल किए गए हैं, जो कार्यस्थल पर 5-10 मिनट में आसानी से पूरे किए जा सकें। इनमें कुछ क्रियाएं कुर्सी पर बैठे-बैठे भी हो सकेंगी तो कुछ वहीं खड़े होकर की जा सकेंगी।
स्कूलों में योग ब्रेक के पीछे क्या है उद्देश्य?
योग ब्रेक के पीछे उद्देश्य यह है कि शिक्षकों और कर्मचारियों पर काम का दबाव न बने और वे तनाव से मुक्त रहकर अपने काम पर ध्यान दे पाएं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान नई दिल्ली के सहयोग से उपयोगी योग प्रथाओं से युक्त ब्रेक प्रोटोकाल विकसित किया है।
हरियाणा में उच्च शिक्षा विभाग से पहले, राज्य महानिदेशक आयुष के द्वारा भी सरकारी विभागों को स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए योग ब्रेक को लागू करने के लिए कहा जा चुका है।
सरकारी दफ्तरों के लिए बन रही नीति
सरकार कर्मचारियों की कार्य कुशलता में सुधार के लिए राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में ‘योग ब्रेक’ लागू करने के लिए तैयारी कर रही है। राज्य के आयुष मंत्री अनिल विज ने कहा है कि नए प्रोटोकाल के कार्यान्वयन से कर्मचारियों की दक्षता में सुधार करने में काफी मदद मिलेगी।
बता दें कि राज्य में पतंजलि योग पीठ के माध्यम से तथा हरियाणा योग आयोग के जरिये योग क्रियाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। करनाल के रहने वाले डॉ. जयदीप आर्य हरियाणा योग आयोग के चेयरमैन हैं, जो पतंजलि योग पीठ और स्वामी रामदेव से जुड़े हैं।