कंसीव करने से पहले करा लें ये जरूरी टेस्ट

नई दिल्ली। अगर आप फैमिली प्लानिंग की सोच रही हैं, तो इसके लिए पहले कुछ तैयारियां जरूरी हैं। जिसमें प्रियोरिटी पर है अपनी हेल्थ के बारे में जानना जिससे येे पता लग सके कि आपका शरीर भी मां बनने के लिए तैयार है या नहीं। इससे प्रेग्नेंसी में होने वाले कॉम्प्लिकेशन्स से बचा जा सकता है, तो जब भी आप कंसीव करने की प्लानिंग करें उससे पहले यहां दिए गए टेस्ट जरूर करवा लें।

कंसीव करने से पहले महिलाओं के लिए कुछ जरूरी टेस्ट

जनरल हेल्थ चेकअप
ये बहुत ही नॉर्मल है, जिसे आपको कंसीव करने से पहले जरूर कराना चाहिए। कई महिलाओं को लगता है कि प्रेग्नेंसी के बाद तो रूटीन चेकअप होते ही रहते हैं तो पहले कराने की क्या जरूरत है, लेकिन ये गलत है। प्लानिंग से पहले भी जनरल टेस्ट के जरिए कई सारी दिक्कतों का पता लगाने में मदद मिल सकती है।

जेनेटिक स्क्रीनिंग
गर्भवती से पहले कई आनुवंशिक परीक्षण भी जरूरी हैं। इससे भी कई तरह की परेशानियों का खतरा टाला जा सकता है। वैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीजीटी) में इम्प्लांटेशन से पहले एंब्रियो में जेनेटिक डिफेक्ट की पहचान की जाती है।

वैक्सीनेशन स्टेटस
फैमिली को आगे बढ़ाने की सोच रही हैं, तो कुछ टीकाकरण की भी जांच जरूरी है, इससे आप कई सारी समस्याओं के होने का खतरा कम कर सकती हैं। जिसमें सबसे जरूरी है mumps, measles और rubella (एमएमआर) का टीकाकरण। रूबेला तो प्रेग्नेंसी में बहुत ज्यादा दिक्कत पैदा कर सकता है। जिसके चलते मिसकैरेज होने की संभावना होती है और अगर बच्चा पैदा होता है, तो कई तरह के विकार के साथ।

मेंटल हेल्थ चेकअप
फैमिली प्लानिंग की सोच रही हैं, तो इसके लिए मानसिक रूप से तैयार होना बहुत जरूरी है। वरना इससे तनाव, डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो आपको ही नहीं, बल्कि होने वाले बच्चे को भी कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती हैं।अगर आप पहले से किसी तरह की मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से जूझ रही हैं, तो ऐसे में पहले उसका इलाज करवाएं फिर कंसीव करने के बारे में सोचें।

सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन (एसटीआई) की जांच
कंसीव करने से पहले एसटीआई की जांच भी बहुत जरूरी है। इसकी अनदेखी से प्रेग्नेंसी में तो कॉम्प्लिकेशन्स होते ही हैं, साथ ही पैदा होने वाले बच्चे में भी कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं। जिसमें प्रीमेच्योर डिलीवरी, जन्म के वक्त बच्चे का वजन कम होना और गंभीर इन्फेक्शन्स शामिल है।

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