टी.आर.सी. लॉ कॉलेज के छात्र छात्राओं को मानवाधिकार के प्रति किया गया जागरुक ।

बाराबंकी। कस्बा सतरिख में स्थित टीआरसी लॉ कॉलेज में शनिवार को सीओ सदर सुमित त्रिपाठी ने छात्र-छात्राओं को मानवाधिकार के प्रति जागरूक किया। इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यवसाय में मानवता के नैतिक मूल्यों को बढ़ाना होगा ।जिससे हम लोगों के साथ उचित न्याय तथा उनके अधिकारों को दिला सके। साथ साथ लोगों को मानवाधिकार तथा मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरुक भी होना पडे़गा।
कार्यशाला का शुभारम्भ सीओ सदर सुमित त्रिपाठी, विधि महाविद्यालय के प्रबन्धक डा. सुजीत चतुर्वेदी तथा प्राचार्य डा. अश्वनी कुमार गुप्ता ने संयुक्त रूप से माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। तत्पश्चात् छात्रा प्रतिभा वर्मा ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। विश्व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर विधि महाविद्यालय में खेल कूद सप्ताह का शुभारम्भ भी किया गया जिसमें सप्ताह के प्रथम दिन वॉलीबॉल एवं रस्साकशी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरूआत में विधि महाविद्यालय के प्रवक्ता, धर्मेन्द्र कुमार, अवनीश शर्मा, नेहा अवस्थी, छात्रा जाह्नवी यादव, निरंजन यादव, आदित्य नारायण जायसवाल आदि ने संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों तथा कर्तव्यों की विस्तृत रूप पर चर्चा की। कार्यशाला में सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता एवं न्याय शीर्षक पर छात्र छात्राओं ने नाटक के माध्यम से उपस्थित सभी को जागरुक किया।

मानवाधिकारों के प्रति जागरुक करते हुए सीओ सदर सुमित त्रिपाठी ने कहा कि मानवाधिकारों के साथ साथ हमे अपने कर्तव्यों को समझना होगा। उन्होंने पुलिस की कार्यवाहियों का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस मानवाधिकार के प्रति किस प्रकार अपने दायित्वों का निर्वहन करती है। साथ साथ लोगों को मानवाधिकार के प्रति जागरुक भी होना पडे़गा और विधि विद्यार्थी किस प्रकार से समाज के वंचित वर्ग के लिए मानवाधिकार सुरक्षा के प्रति कार्य करेंगे। श्री त्रिपाठी ने छात्र छात्राओं से चर्चा के माध्यम से उनके भविष्य में मिलने वाली जिम्मेदारियों के प्रति अभी से बेहतर तैयार होने के टिप्स भी दिए।

प्राचार्य डा. अश्वनी कुमार गुप्ता ने मार्कण्डे पुराण के श्लोक सर्वे भवन्ति सुखमय का उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे वेद, पुराणों में पूर्व से ही मानव अधिकारों का उल्लेख है और हमारा संविधान भी लिंग भेद, जाति, धर्म, पंथ के आधार पर भेद भाव को वर्जित करता है जिसका उपचार उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय से प्राप्त किया जा सकता है। मानवाधिकार हमे जन्म से ही प्राप्त होते हैं। उन्हें किसी आधार पर छीना नहीं जा सकता।

अन्त में धन्यवाद् ज्ञापित करते हुए प्रबन्धक डा. चतुर्वेदी ने स्वामी विवेकानन्द के वाक्य उठो जागो ………. का उल्लेख करते हुए सभी को सदैव अपने दायित्वों के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित किया तभी वास्तव में मानवाधिकार दिवस मनाने की सार्थकता साबित होगी। कार्यशाला का संचालन प्रवक्ता श्रीमती रोहिणी त्रिपाठी ने किया।
इस अवसर पर विधि महाविद्यालय की निदेशक प्रशासनिक रोली मिश्रा, प्रवक्ता मंजय यादव, नवीन सिंह, अमजद अंसारी, दीपमाला श्रीवास्तव, संध्या त्रिवेदी, वीर विक्रम सिंह सहित समस्त प्रवक्तागण एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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