लखनऊ में जमघट पर आज लड़ेंगे पेच….

लखनऊ: कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की भी तस्वीरे पतंगों पर लगाई गई है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ क्रिकेटर भी पंतगों पर नजर आ रह हैं। दरअसल एक ओर जहां लोकसभा चुनाव करीब है वहीं दूसरी ओर विश्वकप में भारतीय क्रिकेट टीम का अजेय रथ भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यही कारण है कि विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज नीले आसमान में लहराते हुए नजर आयेंगे। राजधानी के पतंग बाजार इस समय विश्वकप के रंग में सराबोर है। बता दें कि पुराने लखनऊ के यहियागंज, नक्खास, सआदतगंज, चौक और हुसैनगंज सहित कई इलाकों में 100 से ज्यादा छोटे-बड़े कारखानों में पतंग तैयार की जाती हैं।

दीपावली के दिन लोगों ने जमकर की पतंगों की खरीददारी
जमघट के मौके पर पंतगों का पेंच लड़ाने के लिए लोगों ने दीपावली के दिन ही बाजारों से जमकर पतंगें खरीदी है। पुराने लखनऊ में पतंग के बाजार पिछले तीन दिनों पहले ही सज गये थे। यहां तरह-तरह की पतंगों की डिमांड हो रही ही है। तमाम पतंगबाज रात में जाग कर चरखियां भर रहे हैं। पतंग दुकानदारों के अनुसार अध्धी और पौना की मांग सबसे अधिक है। पेंच इन्हीं पतंगों से लड़ते हैं।

आकर्षण का केंद्र बनी है पतंगे
फूलबाग स्थित शम्स काइट सेंटर के सलमान ने बताया कि उनकी दुकान तकरीबन 31 वर्ष पुरानी है। लखनऊ भर से लोग यहां पर पतंगे बनवाने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि दीपावली पर जमघट के मौके पर पहली बार सभी तरह की चित्रों वाली पतंगों की डिमांड हो रही है। इस बार पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ-साथ क्रिकेट खिलाड़ियों के चित्रों वाली पतंगों की डिमांड रही है।

इस रेंज में बिकी पतंगे
– 7 रुपये से 40 रुपये तक वाली पतंगों की मांग सबसे अधिक
– प्रति चरखी मांझे के साथ 300 रुपये तक
– एक पेंच पर लड़ने पर आने वाले खर्च 250 रुपये तक
– दो पेंच लड़ा लेते हैं एक दिन में एक पतंगबाज

भाई चारे की मिसाल पेश करती है यहां की पतंगबाजी
जमघट के मौके पर क्या हिंदू क्या मुस्लिम सभी अपनी-अपनी दुकानें बंद रखते हैं। वहीं पतंगबाजी में सभी लोग एक साथ मिलकर शामिल होते हैं। कई घरों में तो पूरा परिवार छत पर पतंग और मांझा संभालता हुआ नज़र आता है। पुराने लखनऊ के चौक, नक्खास, चौपटिया, तालकटोरा, राजा बाज़ार, डालीगंज जैसे इलाकों में पतंगबाजी की हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल हर साल देखने को मिलती है।

नवाबों के दौर से होती है पतंगबाजी
इतिहासकार मानते हैं जमघट के मौके पर लखनऊ में नबाबों के दौर से पतंगबाजी होती है। यहां नवाब आसिफुद्दौला को पतंग उड़ाने का खूब शौक था। और तब से ये त्योहार का एक अंग बन गया। लखनऊ में यही पतंगबाजी का दौर आगे दीपावली के अगले दिन जमघट के रूप में जुड़ गया।और इसी लिए सालभर लखनऊ में पतंगे उड़ती हैं।

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