नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इंटर्नशिप के दौरान वजीफा नहीं दिए जाने की कुछ विदेशी मेडिकल स्नातकों की शिकायत पर मंगलवार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और मध्य प्रदेश स्थित एक सरकारी मेडिकल कॉलेज से जवाब मांगा है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने विदेशी मेडिकल कॉलेजों से डिग्री प्राप्त करने वाले पांच डॉक्टरों की ओर से पेश वकील तन्वी दुबे की दलीलों पर ध्यान दिया कि उनके साथ भारतीय संस्थानों से एमबीबीएस करने वालों के समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11 मार्च की तारीख तय की
पीठ ने तिरुअनंतपुरम के साजित एसएल समेत पांच की याचिका पर एनएमसी और विदिशा के अटल बिहारी वाजपेयी सरकारी मेडिकल कॉलेज के अलावा मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल को भी नोटिस जारी किया और सुनवाई के लिए 11 मार्च की तारीख तय की।
छात्रों को मासिक वजीफे के वंचित किया जा रहा
वकील तन्वी दुबे ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि इन छात्रों को मासिक वजीफे के उनके उचित दावे से वंचित किया जा रहा है, जबकि एनएमसी द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उन्हें भारतीय मेडिकल स्नातकों के बराबर माना जाएगा।