भारत होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ देश के साथ हमेशा खड़ रहा है और आगे भी रहेगा. उन्होंने इस दौरान अखंड भारत को लेकर दावा किया कि ये आपके (युवा) बूढ़े होने तक दिख जाएगा.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में कार्यक्रम के दौरान कहा, ”संघ की परंपरा रही है कि देश और राष्ट्र ध्वज के सम्मान की बात होगी तो वहां हम आपको सबसे आगे लड़ने और जान देने के लिए मिलेंगे.”

मोहन भागवत ने क्या कहा?
देश को अखंड भारत के रूप में कब तक देख लेंगे के सवाल पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा, ”मैं कब तक तो नहीं बता सकता, लेकिन आप करने जाएंगे तो बूढ़े होने से पहले दिख जाएगा. इसका कारण ये है कि भारत से अलग होने वालों को लगता है कि गलती हुई है. ऐसे में ये लोग मानने लगे हैं कि हिंदुस्तान होना मतलब नक्शे की रेखा को पोछ डालना नहीं. भारत होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना है.”

मालदीव, श्रीलंका और नेपाल का किया जिक्र
मोहन भागवत ने आगे कहा कि भारत के स्वभाव स्वीकार नहीं था. इस कारण हिंदुस्तान का विखंडन हुआ. स्वभाव होने पर कुछ नहीं बदलना पड़ेगा. सब भारत एक हो जाएगा. अपने जीवन से सब पड़ोसी देशों को सिखाना होगा. हम कर रहे हैं. मालदीव का पानी पहुंचाते है तो श्रीलंका को पैसे पहुंचाते हैं. नेपाल की मदद करते हैं. हम सबकी सहायता कर रहे हैं.

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