नई दिल्ली। साल 2023 अपने अंतिम पड़ाव पर है। दिसंबर महीने का आखिरी सप्ताह शुरू हो चुका है। खेल जगत के लिए यह साल कई उपलब्धियों से भरा रहा। भारत की बात करें तो नीरज चोपड़ा, शीतल देवी, सात्विक, चिराग और ज्योति याराजी जैसे खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। एशियाई खेलों से लेकर विश्व चैंपियनशिप और अन्य प्रतियोगिताओं में भारतीय खिलाड़ियों ने अपना लोहा मनवाया। एशियाई खेलों में पहली बार भारत ने पदकों का शतक लगाया और पैरा एशियाई खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने इतिहास रच दिया। यहां हम इस साल बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं।
नीरज चोपड़ा और किशोर जेना
एशियाई खेलों में नीरज चोपड़ा ने खराब शुरुआत के बाद दमदार वापसी करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वहीं, किशोर जेना ने रजत पदक जीतकर देशवासियों की खुशी दोगुनी कर दी। दोनों खिलाड़ियों ने पेरिस ओलंपिक में भी अपनी जगह पक्की की। हालांकि, नीरज अपनी डायमंड ट्रॉफी का बचाव नहीं कर पाए, लेकिन वह दूसरे स्थान पर रहे। नीरज इसी साल विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने डायमंड लीग का दोहा, लुसाने और बुडापेस्ट चरण जीता। वह ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने।
ज्योति याराजी का पदक
ज्योति याराजी को एशियाई खेलों में महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। नियमों के अनुसार वह अयोग्य नहीं थीं। सात बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने के बाद एशियाई खेल में शामिल होने वाली याराजी अपने पदक को नहीं जानें दे सकती थीं। उन्होंने अधिकारियों के साथ बहस की और विरोध प्रदर्शन किया। अंत में उन्हें उनका हक मिला और वह रजत पदक जीतने में सफल रहीं।
सात्विक-चिराग का कमाल
सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने इस साल देश के लिए लाजवाब प्रदर्शन किया। इस जोड़ी ने कई बार देश का नाम रोशन किया। टी शर्ट उतारने से लेकर अपने जश्न मनाने तक ये दोनों पूरे साल चर्चा में रहे। एशियाई खेलों में ये दोनों स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। इसके बाद सात्विक ने अपने कोच को झुककर दंडवत प्रणाम किया। उन्होंने इसके साथ ही सभी का दिल जीत लिया। इन दोनों ने इस साल पांच बड़े खिताब जीते, जिसमें एक सुपर 1000 ट्राफी भी शामिल है। यह जोड़ी बैडमिंटन रैंकिंग में शीर्ष पर भी पहुंची।
शीतल देवी का कमाल
दुनिया की पहली महिला तीरंदाज शीतल देवी प्रेरणा की चलती फिरती मूर्ति हैं। पिछले साल तक कोई भी उनके बारे में नहीं जानता था, लेकिन यह साल इस युवा खिलाड़ी के नाम रहा है। 16 साल की शीतल के दोनों हाथ नहीं हैं, वह कंधे और मुंह की मदद से तीर चलाती हैं और दिग्गजों को पीछे छोड़ देती हैं। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के लोइधर गांव की रहने वाली शीतल का जन्म फ़ोकोमेलिया के साथ हुआ था, जो एक दुर्लभ जन्मजात विकृति है जिसमें हाथ या पैर अविकसित होते हैं।
जब उसे और कुछ स्थानीय प्रशिक्षकों को एहसास हुआ कि वह खेलों में अच्छी हो सकती है, तो उन्होंने उसे कृत्रिम हाथ दिलाने की कोशिश की, लेकिन वह फिट नहीं हुआ। शीतल ने हार मानने की बजाय और भी जोर लगा दिया। शारीरिक परीक्षण के बाद, जिससे पता चला कि वह अपने ऊपरी शरीर की ताकत के कारण खेलों में जगह बना सकती है, उसने 2021 में तीरंदाजी को चुना।
महज दो साल में शीतल ने दिव्यांग और पैरा दोनों प्रतियोगिताओं में पदक जीतने शुरू कर दिए। 16 साल की उम्र में शीतल 2023 पैरा तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप में पदक (रजत) जीतने वाली दुनिया की पहली महिला बिना हथियार वाली तीरंदाज बन गईं। हांग्जो एशियाई पैरा खेलों में, वह पहले ही कंपाउंड मिश्रित टीम स्पर्धा में राकेश कुमार के साथ स्वर्ण और अपनी साथी सरिता के साथ महिला युगल प्रतियोगिता में रजत पदक जीत चुकी थीं।