इस माह को लेकर सबकी अपनी मान्यताएं और नियम है…

नई दिल्ली। इस साल पौष माह की अमावस्या 11 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन को लेकर लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं और नियम हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें अपने पूर्वजों को मुक्ति और शांति प्राप्त कराने में मदद करने के लिए पौष अमावस्या का दिन बहुत ही विशेष माना जाता है। पौष माह को सौभाग्य लक्ष्मी मास के रूप में भी जाना जाता है।

तो आइए उन नियमों के बारे में जानते हैं

पौष अमावस्या पूजा नियम
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
देसी घी का दीया जलाएं और पितरों को तर्पण दें।
ब्राह्मण या पुजारी को देने के लिए सात्विक भोजन तैयार करें।
परिवार के बुजुर्ग या फिर पुरुष सदस्य किसी योग्य पुरोहित के माध्यम से पितरों का तर्पण करें।
सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और कपड़े के साथ दक्षिणा दें।
इस शुभ दिन पर पवित्र स्नान करने के लिए लोग विभिन्न तीर्थ स्थलों पर भी जाते हैं।
जो लोग इस दिन गंगा नदी के दर्शन नहीं कर सकते हैं, वे घर पर ही गंगाजल को जल में मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
इस शुभ दिन पर जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और पैसों का दान करें।
इस दिन कौवे, कुत्ते और गाय को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसके अलावा इस दिन कुछ भी नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि यह दिन पूरी तरह से पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन अपने लिए या अपने प्रियजनों के लिए खरीदारी करने से जीवन में अशुभता आती है।

तर्पण का मंत्र
दादा के लिए तर्पण का मंत्र- अपने गोत्र का नाम लेते हुए ‘गोत्रे अस्मत्पितामह ( अपने दादा का नाम ) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः’ तीन पर जलांजलि दें।

दादी के लिए तर्पण का मंत्र- अपने गोत्र का नाम लेते हुए ‘गोत्रे अस्मत्पितामह (अपनी दादी का नाम) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः’ 16 बार पूर्व दिशा और 7 बार उत्तर दिशा,14 बार दक्षिण दिशा में जलांजलि दें।

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