इस वजह से बदली यूनियन बजट की तारीख, आइये जाने इसके पीछे की पूरी कहानी…

नई दिल्ली। इस साल यह मौजूदा केंद्र सरकार का आखिरी बजट है। इस वजह से इस बजट में कोई बड़ा एलान नहीं किया जाएगा। दरअसल, इस साल लोक सभा के चुनाव होने वाले हैं। लोक सभा चुनाव के बाद देश में नई सरकार या फिर से बीजेपी शासन की सरकार बन सकती है।

क्या आप जानते हैं कि पहले यूनियन बजट फरवरी के आखिरी में पेश किया जाता था। 2017 से यूनियन बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। ऐसे में अब सवाल आता है कि आखिर किस वजह से इसकी डेट को बदला गया है।

2017 के तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात की घोषणा की थी कि अब से 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद औपनिवेशिक युग का अंत हो जाएगा। अब जानते हैं कि आखिर अरुण जेटली ने यह फैसला क्यों लिया।

इस वजह से बदली यूनियन बजट की तारीख
दरअसल, जब फरवरी महीने के अंत में बजट पेश किया जाता था तब अप्रैल तक उसे लागू करने में दिक्कत होती थी। इस वजह से यूनियन बजट की तारीख को बदला गया। जब कोई नियम या योजना लागू की जाती है तो उसे संसद में पेश किया जाता है। संसद से अप्रूव होने के बाद राष्ट्रपति के अनुमति के बाद ही उसे लागू किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। बजट की तिथि को बदलने के साथ अरुण जेटली ने रेलवे बजट को भी केंद्रीय बजट में शामिल करने का एलान किया था।

बजट की तारीख बदलने के पीछे की कहानी
वर्ष 1999 तक केंद्रीय बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख को शाम 5 बजे पेश किया जाता थाो। यह एक ब्रिटिश परंपरा थी। स्वतंत्रता के बाद भी ब्रटिश परंपरा को फॉलो किया जा रहा था। दरअसल, ब्रिटिश में सुबह के 11 बजे बजट पेश किया जाता है, जो भारत के समय के अनुसार शाम 5 बजे होता था। इस वजह से वर्ष 1999 तक यूनियन बजट फरवरी महीने के शाम 5 बजे तक पेश किया जाता था।

वर्ष 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी में देश में एनडीए सरकार थी। उस समय के तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सुझाव दिया था कि केंद्रीय बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे में बेहतर विश्लेषण और नियमों को समय पर लागू किया जा सकता है।

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