उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के सिलक्यारा में दिवाली के दिन से निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिक जल्द बाहर आ सकते हैं। रेस्क्यू का आज 13वां दिन है। बीते गुरुवार रातभर मशीन का बेस मजबूत करने के लिए काम किया गया। बेस मजबूत होने के बाद ही ड्रिलिंग का दोबारा शुरू हो चुकी है। ऑगर मशीन का बेस हिलने के चलते ड्रिलिंग का काम शुरू नहीं हो पाया था। ड्रिलिंग के दौरान कंपन तेज होने से मशीन का बेस हिल गया था। वहीं सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को आज 13वां दिन हो चुका है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए 800 एमएम के स्टील पाइपों से 51 मीटर तक एस्केप टनल तैयार की जा चुकी है।
बचाव कार्य में लगे लोगों का भी खाने-पीने का भी ध्यान रखने वाली सात सदस्यीय टीम के लीडर रत्नाकर दास ने बताया कि पूर्व में 4 इंच के पाइप से हर 45 मिनट में अंदर फंसे मजदूरों को मुरमुरे, भूने चने, भीगे चने, बादाम, काजू, किशमिश और पॉपकार्न व मूंगफली दी जाती थी। जिसे वह स्टोर करके खाया करते थे। अब छह इंच का पाइप पहुंचने के बाद से मजदूरों को पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। उनकी टीम मजदूरों और बचाव कार्य में लगी टीम के सुबह के नाश्ते, दिन व रात के खाने को पहुंचाने में दिन-रात जुटी रहती है।
आज सुबह सुरंग में फंसे मजदूरों को आज नाश्ते में दूध, ब्रेड और चने दिए गए। इससे पहले बृहस्पतिवार को नाश्ते में उपमा तथा लंच में दाल-भात खाया। एक विशेष टीम ने उन तक यह सब पहुंचाया। यह टीम सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों के भी खाने-पीने का भी ध्यान रखती है।
सुरंग बचाव पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अभी स्थिति काफी ठीक है। कल रात हमें दो चीज़ों पर काम करना था। सबसे पहले, हमें मशीन के प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन कर दिया और इसके बाद पाइप पर जो थोड़ा दबाव था उसे काटने का काम चल रहा है। ये पूरा हो जाने के बाद हमने ऑगर ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्सन्स कंपनी ने ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार से जो अध्ययन किया है उसे हमें पता चला कि अगले 5 मीटर तक कोई धातु अवरोध नहीं है। इस हिसाब से अगर ड्रिल मशीन ठीक चली तो पाइप सुरंग में फंसे मजदूरों के बेहद करीब पहुंच जाएगा। आज रात तक उनके बाहर आने की उम्मीद है