चाणक्य नीति। चाणक्य नीति आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई एक नीति शास्त्र है। यह नीति शास्त्र विभिन्न विषयों पर उपदेश देने के साथ ही सही मार्गदर्शन भी करती है। आचार्य चाणक्य की नीति व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करती है। इस नीति शास्त्र में कई महत्वपूर्ण सिद्धांत और नीतियां हैं जो एक व्यक्ति को सफलता की ओर दिशा प्रदान करती हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में व्यक्ति की कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताया है, जिनके कारण व्यक्ति धीरे-धीरे दरिद्र हो जाता है। इसलिए इन खराब आदतों का त्याग कर देना चाहिए। चलिए जानते हैं वे बुरी आदतें कौन सी हैं।
आलस्य
चाणक्य नीति कहती है कि आलस्य एक बुरी आदत है, जो व्यक्ति को कार्यों में सफल नहीं होने देती है। यदि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो सबसे पहले आलस्य को त्यागें।
अनुचित व्यय
अनुचित व्यय करना व्यक्ति को गरीब बना सकता है। यदि आप अपने व्यय को आय के अनुरूप संयमित रखेंगे तभी सफल हो पाएंगे। इसलिए व्यय की योजना बनाएं, आवश्यकताओं को पहचानें और संयम से खर्च करे।
गन्दगी में रहने वाले लोग
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो लोग गंदे रहते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण नहीं करते हैं या फिर अपने आस-पास गंदगी का वातावरण रखते हैं, ऐसे लोग हमेशा दरिद्रता का जीवन व्यतीत करते हैं। इसलिए इन खराब आदतों का त्याग करना चाहिए।
कड़वा बोलने वाले लोग
चाणक्य कहते हैं कि जो लोग बहुत कर्कशता के साथ या कड़वा बोलते हैं। उनसे भी मां लक्ष्मी कभी प्रसन्न नहीं होती हैं। इसलिए कड़वा बोलने की आदत को तुरंत ही त्याग देना चाहिए और हमेशा मीठा बोलना चाहिए। कड़वा बोलने के कारण व्यक्ति के संबंध तो खराब होते ही हैं और वह कंगाल भी हो जाता है।
सूर्यास्त के बाद सोना
चाणक्य के अनुसार जो लोग संध्या काल में सूर्यास्त के बाद सोते हैं वे हमेशा दरिद्र रहते हैं। इस समय सोने वालों पर मां लक्ष्मी कभी भी अपनी कृपा नहीं करती हैं। इसलिए भूलकर भी सूर्यास्त के समय नहीं सोना चाहिए।