अमेठी। यहां मतदान की तिथि बिल्कुल निकट है। आगामी 20 मई को मतदान होना है ।शीर्ष नेताओं के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेता अपनी-अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं। यहां भाजपा के निवर्तमान सांसद स्मृति जुबिन ईरानी अपनी सीट बरकरार रखने के लिए भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए अमेठी की जनता के बीच सुख-दुख में 5 साल तक साथ रहने की बात विश्वास के साथ कह रही है।इस बात को और पुष्ट करने के लिए भाजपा कार्यकर्ता स्मृति जुबिन ईरानी का गौरीगंज में आवास होने की बात मतदाताओं के बीच पहुंचा रहे हैं ।इस प्रसंग पर जब बात मतदाताओं के बीच जाकर की जाती है तो निवर्तमान सांसद के पक्ष की बात मंद पड़ती दिखने लगती है। और ऐसा तब देखने मे आता है जब कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा नुक्कड़ सभाओ में यह कहते हुए सुने जाते हैं कि वह 22 वर्ष की अवस्था में राजीव गांधी के साथ अमेठी आए थे।
आज 40 वर्ष हो गए पार्टी का एक वफादार सेवक बनकर अमेठी की जनता की सेवा करता चला आ रहा हूं ।गांधी परिवार का अमेठी की जनता से पारिवारिक रिश्ता रहा है, जो आज भी वैसा ही अभेदात्मक रूप से चल रहा है। उन्हें अमेठी का गांव गांव ज्ञात है। अमेठी के लोग उन्हें किशोरी लाल शर्मा के नाम से भलीभांति जानते हैं ।और सभाओ में जब यह बोलते हैं कि मैं सेवक बनकर आया हूं नेता बनकर नहीं। ऐसे व्यक्त किए गए केल शर्मा के विचारों को सुनकर गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी के प्रति लोगों का जुड़ाव बढ़ता जा रहा है। अन्य दल व निर्दलीय प्रत्याशी की बात की जाए तो वे अमेठी के महासंग्राम मे अभी कही दूर ही अपना तीर चला रहे हैं। ऐसा इसलिए भी प्रतीत होता है कि अमेठी का सियासी समर गठबंधन प्रत्याशी और भाजपा प्रत्याशी के बीच कांटे का देखा जा रहा है। दोनों दलों के प्रत्याशी एक दूसरे को पीछे कर अपनी हवा तेज करने में एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए देखे जा रहे हैं। जिसके लिए कार्यकर्ता गांव-गांव गली-गली में मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं। तो वहीं सोने पर सुहागा वाली कहावत सिद्ध करने के लिए पार्टी के शीर्ष लीडरों के कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं ।
कार्यक्रमों में गरीबों को आवास दिए जाने,पीएम किसान सम्मन निधि, तथा घर-घर शौचालय की बात बताकर मतदाताओं को अपने पक्ष में किये जाने का प्रयासचल रहा है। तो वहीं गठबंधन प्रत्याशी द्वारा अमेठी को अपना घर बताकर, छोटे ,सीमांत किसानों को हर माह 5000 की पेंशन देने की बात, किसानों का कर्ज माफ करने, और गरीब परिवार की महिलाओं का एक लाख प्रतिवर्ष देने की बात के साथ ही आटा और डाटा फ्री देने की बात कह कर मतदाताओं को रिझाया जा रहा है। देखा जाए तो बटुली के चावल के अंदाज के अनुपात के बराबर मतदाता से की गई वार्ता से निकली हुई हवा बदलाव की ओर अपना रुख कर चुकी है । जो निरंतर बढ़ती हुई देखी व सुनी जा रही है। ऐसे में अमेठी का सियासी संग्राम रोचक बनता नजर आ रहा है। अब देखना है कि इस हवा को गठबंधन प्रत्याशी कामयाब करने में सफल होंगे और गांधी परिवार की साख वापस लौटा पायेगे या फिर निवर्तमान वर्तमान सांसद स्मृति ईरानी गठबंधन की चली हवा को रोकने में कामयाब होकर पुनर्स्थापित हो सकेंगी। यह तो अमेठी की सियासी चर्चा मात्र है ।जबकि फैसला भविष्य के गर्भ में है ।