स्वयंसेवकों ने तरुण बालकों को बताया सनातन धर्म का महत्व

नानपारा, बहराइच| नगर नानपारा में कृष्णपुरी रुपईडीहा रोड स्थित सतरूपा अष्टभुजा दुर्गा मंदिर के प्रांगण पंचमुखी हनुमान मन्दिर में मंगलवार शाम भजन कीर्तन के साथ साथ स्वयंसेवकों की ओर से तरुण बालकों के लिए सत्संग रखा गया।
नगर के पश्चिमोत्तर छोर पर प्रख्यात सतरूपा अष्टभुजा दुर्गा मंदिर स्थित है जहाँ प्रत्येक मंगलवार सनातनियों का जमावड़ा लगता है और भजन कीर्तन होते हैं। इस मंगलवार भी शाम को भक्तों ने एकजुट होकर भजन कीर्तन किया और रामधुन गुनगुनाई। आरती के पश्चात् राष्ट्रीय स्वयंसेवक अमित पाण्डेय, ध्यान प्रकाश श्रीवास्तव और आयुष अग्रवाल ने 6 वर्ष से 15 वर्ष तक की उम्र बच्चों को सनातन धर्म के प्रति आकर्षित करने वाली बातें बताईं। अमित पाण्डेय ने इस दौरान बच्चों से परिचय प्राप्त करते हुए सनातन संस्कार सिखाये। श्री पाण्डेय ने बताया कि सभी बालकों को प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने माता पिता के पैर छूकर तथा बालिकाओं को प्रणाम करके आशीर्वाद लेना चाहिए, इससे आयु, विद्या और वैभव में वृद्धि होती है, प्रभु श्रीराम भी अपने माता पिता और गुरू के आशीर्वाद से ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये थे। ध्यान प्रकाश श्रीवास्तव एडवोकेट ने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि पवनपुत्र हनुमान प्रभु श्रीराम के सच्चे सेवक थे, मंगलवार को बजरंगबली के पंचमुखी स्वरुप की उपासना से विशेष लाभ मिलता है, लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

पंचमुखी हनुमान जी का पहला मुख पूरब दिशा में वानर का है जो हमें शत्रु पर विजय दिलाता है, पश्चिम दिशा की ओर गरुड़ का मुख है जिससे रुकावटें खत्म होती हैं, उत्तर दिशा में वराह का मुख प्रसिद्धि व शक्ति का कारक है, दक्षिण दिशा की तरफ नृसिंह मुख डर को दूर करने वाला है। आकाश की ओर अश्व मुख हमारी मनोकामनायें पूरी करता है। जीवन में सफलता और सर्वसिद्धि प्राप्त करने के लिए पंचमुखी हनुमान की पूजा अवश्य करनी चाहिए। आयुष अग्रवाल ने तरुण बालक बालिकाओं से श्री राम चरित मानस आधारित प्रश्नोत्तरी करते हुए प्रभु राम के माता पिता माताओं और भाइयों के नाम बताये और सनातन धर्म को सर्वथा श्रेष्ठ बताया|

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