देश और कौम की सशक्त आवाज थी डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क साहब की शख्सियत हाफ़िज़ इरफ़ान

जमीअत उल आइम्मा के प्रतिनिधिमंडल ने संभल जा कर डॉ. शफीकुर रहमान बर्क को श्रद्धांजलि दी
बदांयू| धार्मिक संस्था जमीयत-उल- आइम्मा का एक प्रतिनिधिमंडल जमीयत के अध्यक्ष हाफिज इरफान के नेतृत्व में संभल पहुंचा और डॉ. बर्क साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके उत्तराधिकारी श्री जियाउर्रहमान बर्क, सदस्य को एक शोक पत्र सौंपा। शोक पत्र इस प्रकार है
चुनावी राजनीति में अपनी मिसाल आप डॉ. शफीकुर रहमान बर्क अब हमारे बीच नहीं रहे। जमीयत-उल- आइम्मा सहसवान बर्क साहब के अज़ीज़ लोगों, विशेषकर उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी विधानसभा सदस्य जि़या- उर रहमान बर्क के दुख मे बराबर के शरीक हैं। अल्लाह तआला बराक साहब को जन्नत अल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता करे और ज्वारे रहमत में जगह दे, आमीन। शफीकुर रहमान बर्क साहब अपनी आखिरी सांस तक अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व करते रहे। ऐसे युग में जब वफादारी संदिग्ध हो गई है, लोगों के विचार तेजी से बदलते हैं और किसी को संसदीय मूल्यों को बनाए रखने की परवाह नहीं है, बर्क साहब ऐसे अधिकांश मामलों में एक उदाहरण थे। विधानसभा हो या संसद, वह मुस्लिम मुद्दों पर खुलकर बोलने से कभी नहीं कतराते थे। देश की एकता और भाईचारे में उनकी आस्था पूर्ण थी। उनके जाने से देश की राष्ट्रीय राजनीति में जो शून्यता आई है, उसे आसानी से नहीं भरा जा सकता। 1974 में पहली बार राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने से लेकर 2019 में 17वीं लोकसभा का हिस्सा बनने तक, उन्होंने चार बार राज्य चुनाव और पांच बार राष्ट्रीय चुनाव जीते। उन्हें सम्मानित भी किया गया।
जमीयत-उल- आइम्मा सहसवान को उम्मीद है अता-उर-रहमान बर्क निश्चित रूप से अपने दादा स्वर्गीय डॉ. बर्क के सच्चे उत्तराधिकारी साबित होंगे l जिस तरह डॉ. बर् साहब ने राजनीतिक मूल्यों और परंपराओं को ध्यान में रखकर देश की राजनीति में एक अनोखा स्थान बनाया, उसी जिम्मेदारी के साथ जि़या-उर-रहमान भी अपनी राजनीति को आगे बढ़ाएंगे। इस मौक़े पर हाफ़िज़ मुहम्मद इरफ़ान
अध्यक्ष जमीयत उल आइम्मा, सहसवान जिला बदायूँ पूर्व सदस्य, जिला पंचायत
विजेंद्र यादव सदस्य जिला पंचायत
कारी राहत अली खान उपाध्यक्ष जमीयत उल आइम्मा, कारी फरीदुज़ज़्मा नूरी, हकीम नासिर बरकती ,कारी असलम साहब, हाफ़िज़ मुस्वविर ,हाफ़िज़ अब्दुल हादी, हाफ़िज़ अजमल, हाफ़िज़ रईस अहमद, रज़ी अहमद सिद्दीकी, मौलाना कुमैल मियां कादरी, इशरत पीरजी, अहमद मियां बरकाती व अन्य लोग शामिल रहे|

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