पलिया गांव के बोले ग्रामीण नरक की जिंदगी गुजार रहे हैं साहब.. कोई नहीं सुनता है हमारा दर्द ….

  • प्रदूषण बोर्ड की नाकामी से गांव के पास खुले में बहाया जा रहा है, फैक्ट्री से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी
  • गांव में फैल रही गंदी बदबूदार दुर्गंध से गांव वासियों को सांस लेने में हो रही है दिक्कत
  • इटौंजा क्षेत्र के पलिया गांव में स्थापित फैबकान एग्रो प्राइवेट लिमिटेड नमकीन, आयल फैक्ट्री के चेयरमैन राजीव गुप्ता कर रहे हैं पर्यावरण के साथ खिलवाड़
  • गांव वासियों की सेहत पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव , कैंसर जैसे गंभीर रोगों को मिल रहा बढ़ावा

लखनऊ।राजधानी के इटौंजा क्षेत्र के पलिया गांव में स्थापित फैबकान एग्रो प्राइवेट लिमिटेड जो नमकीन, आयल व अन्य खाद्य पदार्थ बनाने की फैक्ट्री है।इस फैक्ट्री के चेयरमैन राजीव गुप्ता मनमानी कर रहे हैं। वे किसी भी नियम को नहीं मानते। जिससे पर्यावरण के साथ आसपास के लोगों के जीवन पर भी बुरे प्रभाव पड़ रहे है। साथ ही किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। कई वर्षों से फैक्ट्री का दूषित जहरीला पानी समीपस्थ तालाब में छोड़ा जा रहा है। जिसके कारण कैमिकल युक्त पानी के कारण क्षेत्र के कुंए, हैंडपंप, ट्यूवबेल आदि में इस कैमीकल युक्त जहरीले पानी का रिसाव हो रहा है। जिसके कारण यह सभी स्त्रोतों के जल दूषित हो रहे हैं, जो पीने योग्य नहीं है। इस फैक्ट्री के द्वारा तालाब में छोड़े जा रहे केमिकल युक्त जहरीले पानी के कारण कई बार पलिया गांव के किसानों के गौवंश भी मर चुके है।

बतातें हैं कि क्षेत्रीय कृषकों के मवेशी यदि उक्त तालाब का केमिकल युक्त जहरीला पानी पी ले तो मवेशी दो-चार दिन में बीमार होकर मर जाते हैं।वहीं ग्रामीणों का यह भी कहना है कि फैक्ट्री से खुले में बहाये जा रहे केमिकलयुक्त दूषित पानी की बदबू से भी जीना दूभर हो गया है।लोगों का आरोप है कि समस्याओं के बारे में कई बार शिकायत दी गईं हैं, लेकिन कोई अधिकारी गांव की ओर ध्यान नहीं दे रहा है।जबकि इस केमिकलयुक्त पानी की वजह गांव के भगवती प्रसाद के घर के चारों तरफ बदबूदार गंदा पानी भरा हुआ है।वहीं गांव के कई रास्तों भर भी तालाब से ओवर फ्लो होकर गंदा केमिकलयुक्त गन्दा पानी भरा हुआ है।लोगों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है।स्थानीय गांव वालों का कहना है कि नरक की जिंदगी गुजार रहे साहब.. कोई नहीं सुनता है हमारा दर्द ….फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी में केमिकल्स बहुत ज्यादा मात्रा में होते हैं।डाक्टर्स की मानें तो यह केमिकल भी कैंसर जैसे रोग को बढ़ावा देते हैं। अगर इस दूषित पानी में मक्खी मच्छर बैठे और घर तक पहुंचे तो टाईफाईड , उल्टी , दस्त और स्किन संबंधित बीमारियां पैदा होती हैं। वहीं फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए से सांस की बीमारियां और फेफड़ों का कैंसर भी बढ़ता है ।

रासायनिक कचरा भी खुले में रहे फेंक
रासायनिक कचरा अभी भी खुले मैदानों में फेंका जाता है।हर बार जब बारिश होती है, तो रासायनिक कचरा किसानों के खेतों में चला जाता है।पलिया,मोहम्मदपुर गावों के किसानों का कहना है कि रासायनिक पानी एवं कचरे के कारण किसानों की फ़सलें नष्ट हो जाती हैं।इन्ही फैक्ट्रियों के कारण कई गावों के किसानों की रोजी-रोटी छिन गई है।

ग्रामीणों ने की भूजल की जांच करवाने की मांग
इटौंजा के पलिया,कुम्हरावा रोड पर स्थित मोहम्मद पुर,पहाड़पुर सहित अन्य कई गावों के ग्रामीणों ने कहा कि जिस प्रकार से क्षेत्र में स्थापित फैक्ट्रियों से खुलेआम केमिकल युक्त जहरीला पानी तालाबों, नहरों में बहाया जा रहा है।इससे पता चलता है कि भूजल दूषित हो चुका है।गंदा पानी रिसकर भूमि के जल को प्रदूषित कर रहा है, जो स्थानीय ग्रामीणों में बीमारियों के फैलने का सबब बन सकता है।वहीं तालाबों व उसके आसपास भरे गंदे पानी की वजह से जलीय जीवन पूरी तरह से नष्ट हो चुका है। बावजूद इसके प्रदूषण विभाग भूजल की जांच नहीं कर रहा है।

यह हैं नियम
जब फैक्ट्री शुरू होती है उसमे ईटीपी प्लांट लगा होना चाहिए । बिना ईटीपी प्लांट के प्रदूषण बोर्ड उस फैक्टरी को एनओसी भी जारी नहीं करता है । कुछ फैक्ट्री संचालक बिना एनओसी के ही फैक्ट्री लगा लेते हैं । प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की अनदेखी की वजह से यही फैक्ट्रियां प्रदूषण फैलाती हैं। अगर विभागीय अधिकारी समय समय पर जांच करें तो क्षेत्र वासियों को प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है ।

जांचकर होगी कार्रवाई
पलिया गांव में संचालित फैबकान एग्रो प्राइवेट लिमिटेड नमकीन,आयल फैक्ट्री से निकलने वाला दूषित पानी को तालाब में छोड़ा जा रहा है, मामला संज्ञान में आया है, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से समन्वय बनाकर जांच की जाएगी,और नियम विरुद्ध संचालित फैक्ट्रियों के संचालकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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