नई दिल्ली। भगवान राम के भक्तों को जिस दिन का बेसब्री से इंतजार था, वो दिन अब नजदीक आ गया है। 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक होने वाला है। दरअसल, इसी तारीख को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन होगा। राम नगरी में भव्य और विशाल मंदिर बन रहा है। देश में राम मंदिर आंदोलन के दौरान कई ऐसे नायक रहे जो गुमनाम रहे। आज हम आपको राम मंदिर के गुमनाम नायकों के बारे में बताएंगे।
महंत अवैद्यनाथ
महंत दिग्विजयनाथ के शिष्य और सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन के लिए विश्वव्यापी संगठन खड़ा कर दिया था। उन्होंने धर्माचार्यों को एक मंच पर खड़ा करने का काम किया था। इसके लिए अवैद्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन भी किया। सात अक्टूबर 1984 को अवैद्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या से लखनऊ के लिए धर्मयात्रा निकाली गई। महल पार्क में हुए सम्मेलन में लगभग 10 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था।
कोठारी ब्रदर्स
राम मंदिर का जिक्र हो तो कोठारी ब्रदर्स का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है। राम मंदिर आंदोलन में कोठारी ब्रदर्स ने भी बढ़ृ-चढ़कर हिस्सा लिया था। कोलकाता निवासी दो सगे भाई राम कोठारी (22) व शरद कोठारी (20) भी इसमें शामिल होने गए। कहा जाता है कि दोनों भाइयों ने विवादित ढांचे पर सबसे पहले झंडा फहराया था। हालांकि, गोलीकांड में दोनों भाई शहीद हो गए।
देवराहा बाबा
देवराहा बाबा ने 35 साल पहले ही राम मंदिर निर्माण की भविष्यवाणी कर दी थी। वृंदावन में यमुना किनारे लकड़ी के मचान पर विराजमान होने वाले संत देवराहा बाबा ने फरवरी 1989 में प्रयागराज के कुंभ में राम मंदिर आंदोलन का समर्थन किया था। देवराहा बाबा के ही आदेश पर नौ नवंबर 1989 को राम मंदिर के लिए विहिप ने शिलान्यास की तिथि घोषित की थी।
सरस्वती देवी
झारखंड के धनबाद की रहने वाली सरस्वती देवी भी परम राम भक्त हैं। 22 जनवरी को वह 30 साल पुराना अपना मौन व्रत तोड़ने जा रही हैं। सरस्वती ‘सीता राम’ कहकर अपना मौन व्रत तोड़ेंगी। उनकी उम्र 80 वर्ष है। दिसंबर 1992 में जब विवादित ढांचा गिरा था, तभी से उन्होंने मौन व्रत रखा था।
वीरेंद्र विमल
विहिप के क्षेत्र मंत्री वीरेंद्र विमल की 1980 में एसबीआई में सरकारी नौकरी लगी थी। 1981 में वह विश्व हिंदू परिषद के सदस्य बन गए और 1987 से सक्रिय कार्यकर्ता बन गए। राम भक्ति में लीन वीरेंद्र कमल ने 2001 में नौकरी छोड़ दी।