श्रीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे से 24 घंटे पूर्व आतंकियों ने गीदड़ भभकी देते हुए दहशत फैलाने का षड्यंत्र रचा। कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों को आतंकियों ने कश्मीर छोड़ने का फरमान सुनाया है। यह दहशत भरी धमकी इंटरनेट मीडिया और फोन काल के जरिए दी गई। धमकी पर पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों ने चुप्पी साध रखी है।
अलबत्ता, घाटी में अल्पसंख्यक बस्तियों उन सभी क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है जहां प्रवासी श्रमिक रहते हैं।बता दें कि मोदी 20 फरवरी को प्रधानमंत्री दौरे के मद्देनजर पूरे प्रदेश में अलर्ट है। सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं। आतंकी संगठन पहले भी घाटी में नियुक्त कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों को धमकियां देते रहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री दौरे से ठीक पूर्व ऐसी धमकी सुरक्षा तंत्र पर भी सवाल उठाती है।
आतंकियों ने यह धमकी पहले सोशल मीडिया पर जारी की और उसके बाद कथित तौर पर एक कश्मीरी हिंदू कर्मी के मोबाइल फोन पर वायस नोट भेजा जाता है। यह धमकी पहले आतंकियों का आनालाइन मुखपत्र कहे जाने वाली वेबसाइट कश्मीर फाइटस पर जारी की। इसमें 20 कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों के नाम और उनके मोबाइल फोन नंबर भी स्पष्ट रूप से लिखे हुए हैं।
सरकार सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस ) के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने आतंकियों की धमकी के बारे में कहा कि इसे केपीएसएस के अधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा किया है। आतंकी संगठन खुलेआम यहां कश्मीरी हिंदुओं को कश्मीर छोड़ने के लिए कह रहे हैं। सरकार सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। स्थानीय लोग नहीं चाहते कि कश्मीरी हिंदू वापस नहीं आए।
पहले कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों के नाम और फोन नंबर के साथ धमकी भरा पोस्टर जारी किया जाता है और फिर कश्मीर छोड़ने की धमकी के साथ एक वायस नोट भेजा जाता है। एक कर्मचारी जिसका नाम विक्की बताया जा रहा है, के फोन पर 92 308 8974107 नंबर से एक फोन काल आई थी। उक्त फोन नंबर की डीपी हथियारबंद व्यक्ति की थी और उसका लहजा ठेठ पंजाबी था।
सभी कर्मचारी वित्त विभाग के
एक कश्मीरी हिंदू कर्मचारी ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्कवाड टीआरएफ ने जिन कश्मीरी हिंदुओं के नाम और मोबाइल नंबर जारी किए हैं, वे सभी जम्मू कश्मीर वित्त विभाग के कर्मचारी हैं। प्रतिनियुक्ति के आधार पर श्रीनगर के क्षेत्रीय पुलिस मुख्यालय में प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात हैं। आतंकी संगठनों के पास नाम, नंबर और अन्य विवरण होना कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए घातक है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकारी तंत्र में अभी भी आतंकियों के कुछ समर्थक और एजेंट हैं।