आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध में प्रयोग होने वाली शब्दावली WHO सूचकांक में शामिल

नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा प्रणालियों में बीमारियों को परिभाषित करने वाली शब्दावली को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी) के 11वें संशोधन में शामिल किया गया है।

इससे बीमारियों को परिभाषित करने के लिए एक कोड के रूप में आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध दवाओं में वैश्विक एकरूपता आएगी। मंत्रालय ने कहा कि बुधवार को डब्ल्यूएचओ द्वारा आईसीडी 11 पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल-2 के लॉन्च के साथ इसके लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है।

WHO-आयुष मंत्रालय के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे
मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ के सहयोग से आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी प्रणालियों में उपयोग की जाने वाली बीमारियों का वर्गीकरण तैयार किया है। इस वर्गीकरण के लिए पहले डब्ल्यूएचओ और आयुष मंत्रालय के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। बयान में कहा गया है कि यह प्रयास भारत की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली, अनुसंधान, आयुष बीमा कवरेज, अनुसंधान और विकास, नीति निर्माण प्रणाली को और मजबूत और आगे बढ़ाएगा।

कोड का उपयोग विभिन्न बीमारियों को नियंत्रित करने में होगा
इसके अलावा, इन कोड का उपयोग विभिन्न बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने में भी किया जा सकता है। इंडिया हैबिटेट सेंटर में आईसीडी-11 चिकित्सा मॉड्यूल-2 को लॉन्च करते हुए केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री मुंजापारा महेंद्रभाई ने कहा कि भारत के साथ-साथ पूरे देश में वैश्विक मानकों के साथ एकीकृत करके आयुष चिकित्सा को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।

भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डा रैडारिको एच आफ्रिन ने कहा कि आइसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा शब्दावली का समावेश पारंपरिक चिकित्सा और वैश्विक मानकों के बीच एक संबंध बनाता है।

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