अवधेश राय हत्या कांड का घटनास्थल से चेतगंज थाना लगभग 100 मीटर की दूरी पर था। अजय राय ने बदमाशों का पीछा भी किया था, लेकिन उन्हें पकड़ पाने में वह असफल रहे थे। यह ऐसा पहला मामला था जिसमें मुख्तार अंसारी को 5 जून 2023 को वाराणसी की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
जौनपुर। वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 33 साल पुराने अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोयले के कारोबार और सरकारी ठेकों में दखल के साथ ही जिला जेल में मुख्तार अंसारी के गुर्गों की पिटाई चेतगंज थाने के हिस्ट्रीशीटर अवधेश राय की हत्या की अहम वजह बनी थी। हत्या सहित अन्य आपराधिक आरोपों में दर्ज 19 मुकदमों के आरोपी रहे अवधेश राय का दबदबा वाराणसी से गाजीपुर होते हुए पूर्वांचल में तेजी से बढ़ रहा था।
नब्बे के दशक में मुख्तार अंसारी गिरोह ने बनारस में पैर पसारना शुरू किया तो उनकी राह में दबंग किस्म के अवधेश राय एक बड़ा रोड़ा थे। मुख्तार अंसारी गिरोह बनारस के व्यापारियों से रंगदारी मांगता था तो अवधेश राय ढाल बन कर खड़े हो जाते थे। नतीजतन, अवधेश राय को रास्ते से हटाने की साजिश रचकर सुनियोजित तरीके से तीन अगस्त 1991 को उनकी हत्या उनके घर के सामने ही कर दी गई।
दरअसल, वर्ष 1990 में अवधेश राय और एक पूर्व एमएलसी के बड़े भाई वाराणसी की जिला जेल में बंद थे। उस दौरान मुख्तार अंसारी के गिरोह के कुछ सदस्य भी इसी जेल में थे। पूर्व एमएलसी के बड़े भाई से मुख्तार अंसारी के गुर्गों से किसी बात पर नोकझोंक हुई और बात मारपीट तक पहुंच गई।
पूर्व एमएलसी के बड़े भाई ने अवधेश राय से मदद मांगी। इस पर अवधेश राय ने मुख्तार अंसारी के साथियों की सलाखों के पीछे जमकर पिटाई की। इस घटना के बाद मुख्तार अंसारी इस कदर खार खाया कि अवधेश को ठिकाने लगाने की ठान ली। पहले रेकी कराई गई, गोली मारकर अवधेश की हत्या कर दी गई। इसके बाद बदमाश अपना वाहन छोड़कर गलियों से ही होते हुए भाग निकले।
अवधेश के आपराधिक इतिहास को बचाव पक्ष ने बनाया था ढाल
न्यायालय में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने अवधेश राय पर हत्या सहित अन्य आपराधिक मामलों में दर्ज 19 मुकदमों को अपना ढाल बनाया था। न्यायालय में अभियुक्त के अधिवक्ता की ओर से चेतगंज थाने में दर्ज 10, सिगरा थाने के छह और कैंट के दो और शिवपुर में एक मुकदमे का विवरण भी प्रस्तुत किया था। इसमें मुख्तार की ओर से यह कहा गया कि अवधेश राय का आतंक समाज में व्याप्त था और उनके कई दुश्मन थे। इस घटना से पहले दुश्मनों ने मृतक के विरुद्ध कई मुकदमे दर्ज कराए थे।
मिली थी ये सजा
अदालत ने मुख्तार अंसारी को 148, 149 और 302 के तहत दोषी पाया था। उन्हें आजीवन कारावास की सजा के साथ एक लाख का जुर्माना भी लगाया था। जुर्माना न भरने की पर मुख्तार को छह महीने जेल में और रहना पड़ता। इसके अलावा एक अन्य धारा के तहत 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया था। उसे न चुकाने पर सजा में तीन महीने और बढ़ जाते।
नंद किशोर रुंगटा का क्या हुआ, किसी को नहीं पता
विहिप के तत्कालीन कोषाध्यक्ष और कोयला कारोबारी नंद किशोर रुंगटा का अपहरण बनारस स्थित उनके ऑफिस से 22 जनवरी 1997 को किया गया था। मुख्तार अंसारी गिरोह को सवा करोड़ रुपये की फिरौती दी गई थी। इसके बाद भी आज तक नंद किशोर रुंगटा का पता नहीं लग पाया। उनके परिजन घटना के 27 वर्ष बाद भी कुछ नहीं बोलते हैं। पुलिस और सीबीआई से पैरवी न करने के लिए मुख्तार अंसारी ने उनके भाई महावीर प्रसाद रुंगटा को धमकी दी थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी को वाराणसी की अदालत ने 15 दिसंबर 2023 को पांच साल छह माह की सजा और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था।
500 राउंड गोली चलाकर की गई थी सात लोगों की हत्या
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता कृष्णानंद राय ने मोहम्मदाबाद से अफजाल अंसारी को शिकस्त दी थी। 2004 में अफजाल अंसारी गाजीपुर से लोकसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 29 जनवरी 2005 को विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों पर एके-47 से 500 राउंड गोली चलाकर बसनिया चट्टी के समीप नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड में मारे गए सात लोगों के शव से 67 गोलियां बरामद की गई थी।
एक ही जज ने दूसरी बार मुख्तार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी
एमपी/एमएलए कोर्ट वाराणसी के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की अदालत ने नौ महीने में दूसरी बार अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस- 191) के सरगना और गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई। 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद 13 मार्च 2024 को गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
चंदौली निवासी डिप्टी एसपी को देना पड़ा था इस्तीफा
चंदौली जिले के फेसुड़ा गांव के मूल निवासी शैलेंद्र सिंह वर्ष 2004 में एसटीएफ में डिप्टी एसपी के पद पर तैनात थे। कृष्णानंद राय हत्याकांड से पहले उन्होंने मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने का पर्दाफाश किया था। उन्होंने एलएमजी बरामद कर मुख्तार अंसारी के खिलाफ पोटा की कार्रवाई की थी। इस पर तत्कालीन प्रदेश सरकार शैलेंद्र सिंह पर नाराज हुई और उन पर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया था। इससे आहत शैलेंद्र सिंह ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया गया था। इस घटना के कुछ महीने बाद कैंट थाने में डीएम कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने मारपीट और तोड़फोड़ सहित अन्य आरोपों में शैलेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। वर्ष 2021 में योगी सरकार ने शैलेंद्र पर दर्ज केस वापस ले लिया। फिलहाल वह लखनऊ में रहकर आर्गेनिक खेती और गोसेवा के काम से जुड़े हुए हैं।
आठ बार हुई सजा 18 महीने में मुख्तार को
21 सितंबर 2022: मारपीट, धमकाने सहित अन्य आरोपों में लखनऊ के आलमबाग थाने में दर्ज मुकदमे में सात वर्ष की कठोर कारावास की सजा। 37 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया।
23 सितंबर 2022: लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट में पांच वर्ष की कठोर कारावास की सजा। 50 हजार रुपये जुर्माना।
15 दिसंबर 2022: गाजीपुर के कोतवाली थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष की सजा। 5 लाख रुपये जुर्माना।
29 अप्रैल 2023: गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष की सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये जुर्माना।
5 जून 2023: वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज हत्या मामले में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा। 1 लाख रुपये जुर्माना।
27 अक्तूबर 2023: गाजीपुर के करंडा थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में मुख्तार अंसारी को 10 वर्ष की कठोर कारावास की सजा। पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया।
15 दिसंबर 2023: वाराणसी के भेलूपुर थाने में दर्ज धमकाने के मामले में 5 वर्ष 6 माह की कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना।
13 मार्च 2024: धोखाधड़ी, कूटरचना व आपराधिक साजिश और आयुध अधिनियम के तहत उम्रकैद की सजा। 2.02 लाख रुपये जुर्माना।