भगवान राम की कथा मन्दाकिनी नदी है: अमरदास

बलिया। नगरा क्षेत्र के इसारी सलेमपुर में आयोजित सात दिवसीय श्री हनुमत प्राण प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ के प्रथम दिन सैकड़ों धर्मानुरागियो को श्री राम कथा का रसपान कराते हुए अयोध्या से पधारे महा मंडलेश्वर स्वामी अमर दास महाराज ने कहा कि रामचरित मानस वास्तव में जनमानस की कथा है। इसमें मनुष्य जीवन के सारे पहलुओं को इस तरह समेटा गया है कि हम इसे जीवन दर्शन के रूप में भी अपना सकते हैं।
संगीतमय प्रवचन की शुरुवात करते हुए कथा वाचक ने कहा कि राम कथा मन्दाकिनी… भगवान राम की कथा मन्दाकिनी नदी है और व्यक्ति का मन ही चित्रकूट है। उन्होंने कहा कि राम चरित मानस जीवन जीने की सीख देती है, यह केवल राम की कथा नही बल्कि हर व्यक्ति के जीवन में उतारने की चीज है। कहा कि गोस्वामी जी मानस में लिखे हैं कि प्रात काल उठि के रघुनाथा, मात पिता गुरु नावहि माथा। इसका अर्थ श्रोताओं को समझाते हुए महा मंडलेश्वर ने कहा कि विश्व में किसी भी धर्म को मानने वाला व्यक्ति हो, वो चाहता है कि उसकी संतान उसकी सेवा करें और प्रभु श्रीराम ने माता पिता की सेवा करके समाज की ये संदेश दिया। उन्होंने समाज में फैल रही गलत धारणाओं पर चोट करते हुए कहा कि रावण का नाना माल्यवान जो उम्र में रावण से बड़ा है, उसे मारने पीटने की बात रावण करता है। करिया मुंह करि जाहु अभागे, बुढ भयऊ न त मरते ऊ तोहे। उन्होंने समाज पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि वर्तमान समय में लोग शिक्षित तो हो रहे हैं लेकिन उनके अंदर संस्कार खत्म होता जा रहा है। यही कारण है कि बड़े बुजुर्गो के प्रति सम्मान, माता पिता की सेवा की भावना कम होती जा रही है। कहे कि पढ़े लिखे लोगो के मां बाप वृद्धाश्रम में भटकते मिलेंगे। ऐसे समय में भगवान राम की कथा जीवन में शिक्षा और संस्कार की भावना जागृत करने का काम करती है। कथा के दौरान संगीतमय भजनों पर श्रद्धालु झूमते रहे। महायज्ञ में पंचांग पुजन व अरणी मंथन विद्वानों के देखरेख में सम्पन्न हुआ।

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