चौदहकोसी परिक्रमा मार्ग के किनारे धारा रोड स्थित पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा साकेत सदन

अयोध्या। नवाब शुजाउद्दौला के महल से अफीम कोठी और अब साकेत सदन। अपने पुराने वैभव को समेटे यह ऐतिहासिक भवन अब फिर से अपने प्राचीन स्वरूप में दिखने की ओर अग्रसर है। पर्यटन विकास के दृष्टिकोण से विकसित किये जा रहे साकेत सदन का 58 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो गया है, शेष प्रगति की ओर है।

जिलाधिकारी नितीश कुमार ने बुधवार को कार्यदायी संस्था उप्र प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लि. इकाई-11 के अधिकारियों के साथ साकेत सदन के विकास कार्य की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने बताया कि 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के किनारे धारा रोड के समीप स्थित साकेत सदन परिसर में टिकट काउंटर के स्लैब, टायलेट के स्लैब, सोविनियर शाप (बी-2) का कार्य पूर्ण है।

मुख्य भवन के स्लैब, इंट्रेंस प्लाजा का कार्य प्रगति पर है। इंटरप्रिटेशन वाल का सुपर स्ट्रक्चर पूर्ण हो गया है। जिलाधिकारी ने समस्त कार्यों को संरक्षण तकनीक से कुशल कारीगरों के माध्यम से गुणवत्ता पूर्ण ढंग से कराने तथा निर्धारित समयावधि में समस्त कार्यों को पूर्ण करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि अयोध्या धाम में ऐतिहासिक भवनों को सजाने-संवारने का कार्य चरणबद्ध रूप से प्रगति पर है।

साकेत सदन परिसर में 1756 से 1775 ई. के मध्य निर्मित ऐतिहासिक भवनों का जीर्णोद्धार उनके निर्माण के समय प्रयोग की गई सामग्री से ही किया जा रहा है, जिसमें संपूर्ण कार्य चूना, सुर्खी, शीशा, मेथी, उड़द की दाल, गोंद/गुग्गुल, बेलगिरी पाउडर आदि पदार्थों व निर्माण सामग्री को मिला कर बनाए गये मसाले से किया जा रहा है। पूर्ण होने पर प्राचीनता को समेटे इन भवनों की भव्यता दिखाई देगी।

ओपन एयर थियेटर, म्यूजियम कांप्लेक्स, रेस्टोरेंट भी

साकेत सदन में स्थित मुख्य भवन में रेस्टोरेंट विकसित किया जा रहा है। यहां आगंतुकों के लिए मनोरंजन के लिए ओपन एयर थियेटर व म्यूजियम कांप्लेक्स भी बनाया जाएगा, जिसमें ऐतिहासिक वस्तुओं एवं साहित्यों को संजोया जाएगा। साकेत सदन में इंटरप्रिटेशन वाल, इंट्रेंस प्लाजा के साथ ही परिसर में लैंड स्केपिंग कर आकर्षक फूल-पौधे व कोवल स्टोन के पाथ-वे सहित कई कार्य किया जाना है। भवनों का आकर्षक मुखौटा रोशनी भी जगमग किया जाएगा।

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