भइया साहब की 130 वीं जयन्ती साहित्यिक संध्या के रूप में मनाई गई

लखनऊ। शुक्रवार को राष्ट्रीय पुस्तक मेला के सांस्कृतिक मंच पर हिन्दी वांग्मय निधि द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत साहित्यवाचस्पति पं० श्रीनारायण चतुर्वेदी ( भइया साहब) की 130वीं जयन्ती एक साहित्यिक संध्या के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर आकाशवाणी के सुप्रसिद्ध उद्घोषक श्री नवनीत मिश्र ने श्री चतुर्वेदी के जीवन और उनके साहित्यिक रचना- संसार का परिचय दिया। उन्होने कहा कि भइया साहब एक निष्ठावान हिन्दी-सेवी थे जिन्होंने सैकड़ों योग्य लेखकों, कवियों, उपन्यासकारों की प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें साहित्य सृजन का समुचित मंच दिया। श्री मिश्र कहा कि भइया साहब हिन्दी कवि-सम्मेलनों के जनक तो थे ही, उन्होंने आकाशवाणी में हिन्दी के प्रयोग और बाद में उसके स्तर के मानकीकरण में अद्भुत योगदान दिया।

कार्यक्रम में युनिवर्सल बुक डिपो के श्री मानव प्रकाश को उनके प्रतिष्ठान द्वारा हिन्दी की पुस्तकों के प्रचार- प्रसार के लिए हिन्दी वांग्मय निधि द्वारा सम्मानित किया गया।

हमारा लखनऊ पुस्तक माला श्रृंखला की 45 वीं पुस्तक ‘षड्यंत्रों के घिरे – लखनऊ के नवाब’ का विमोचन नवाब मसूद अब्दुल्ला, डॉ. डी. एस. चौहान, प्रो0 शैलेन्द्र नाथ कपूर, रामकिशोर बाजपेयी आदि की उपस्थिति में हुआ। पुस्तक पर परिचर्चा दौरान लेखक रामकिशोर बाजपेयी और नवाब साहब ने बताया कि किन परिस्थितियों में नवाब सादत खाँ बुरहान – उल मुल्क को मुगल बादशाह ने लखनऊ का नवाब बनाया। नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा जन कल्याण के कामों की चर्चा हुई। हुसैनाबाद लखनऊ में घंटाघर क्यों बनाया गया ? हजरतगंज बाजार किस नवाब ने बनवाया और इसका नाम हजरतगंज क्यों रखा? ऐसे तमाम सवालों का जवाब इस पुस्तक में पाठकों को मिलेगा। नवाब मसूद अब्दुल्ला ने अवध के नवाबों की सहिष्णुता, कला- प्रियता, और हिन्दू- मुस्लिम भाई चारे के सतत् प्रयासों को रेखांकित किया। डॉ० चौहान ने हिन्दी वांग्मय निधि के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि किसी भी शहर के निवासियों को अपने शहर के गौरवशाली इतिहास की जानकारी जरूर होनी चाहिए। इसके बाद प्रो० शैलेन्द्र नाथ कपूर की पुस्तक ‘प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं कला’ की विशिष्टताओं पर लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्वान प्रोफेसर पीयूष भार्गव ने परिचर्चा की। प्रो० कपूर ने प्राचीन भारतीय इतिहास को संस्कृति, कला और साहित्य का समृद्ध स्रोत बताया। राजतन्त्र, धर्म व्यवस्था, सुशासन, व्यापार, सामरिक शास्त्र, सुदूर दक्षिण – पूर्व एशिया मे बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों को समेटे यह पुस्तक सामान्य पाठकों और विशेषरूप से प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होगी। कार्यक्रम का संचालन अजय पाण्डेय ने किया।

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