कलसिया नाले के किनारे बसे लोगों की दहशत में कट रही रातें

हल्द्वानी। फसल को बचाने के लिए खेतों में किसानों के पहरा देने की बात सुनीं होगी, लेकिन यहां लोग रातभर जागकर बाढ़ का पहरा देते हैं। वह अंतिम समय तक अपनी माटी से जुड़े रहता चाहते हैं। कहते हैं जब घर बह ही जाएगा तो चलें जाएंगे कहीं और रात गुजारने।

इनके दर्द को समय पर किसी ने नहीं सुना। अब बाढ़ आने लगी तो घर खाली करने को कहा जा रहा है। वर्षभर कुर्सी में बैठे रहने वाले अधिकारी निरीक्षण को पहुंच रहे हैं। अच्छा होता कि बरसात से पहले बाढ़ सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर लिए गए होते।

नाले के किनारे रहते हैं तकरीबन 65 परिवार
हम बात कर रहे हैं काठगोदाम में स्थित कलसिया नाले की। पुल से नीचे नाले के किनारे तकरीबन 65 परिवार रहते हैं। हर साल बरसात में नाला कहर बनकर आता है। नाले के किनारे वर्ष 2023 में कई घर बह गए थे। सिंचाई विभाग ने बाढ़ सुरक्षा के नाम पर आधी अधूरी दीवार बनाकर छोड़ दी। नाले के मुहाने पर दीवार नहीं बनाई। जिस कारण से भू-कटाव फिर से शुरू हो चुका है।

पुल के नीचे नदी का बहाव सीधे लोगों के घरों की ओर हो गया है। मंगलवार की रात आई बाढ़ से पांच से छह घरों को खतरा हो गया है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि बाढ़ से बचाने के लिए जाल सबसे कारगर है, लेकिन अधिकारियों ने यहां जाल न डालकर नाले के एक साइड में आधी-अधूरी बना दी है। पिछले रविवार से रोज रात को बारिश होने से नाले में बाढ़ आ रही है।

अपने घरों में बैठकर बाढ़ का पहरा दे रहे लोग
रातभर जागकर लोग नाले के किनारे अपने घरों में बैठकर बाढ़ का पहरा दे रहे हैं। ताकि बाढ़ अधिक आई तो जान बचाकर भाग सकें। कई घरों के लोग रात को बारी-बारी से सो रहे हैं। बच्चे व बूढ़े व महिलाएं सब दहशत में हैं। लोगों से जब पूछा गया कि पहले घर खाली क्यों नहीं कर देते। उनका कहना था 50-60 साल से जिस घर में रहते हैं। उसे कैसे छोड़ दें। घर जब बह ही जाएगा तो छोड़ देंगे। लोग बात करते हुए भावुक हो रहे थे और सिस्टम को कोसने लगे।

10 से अधिक घरों में आई दरारें
कलसिया नाला की चोट सीधे लोगों के घरों में पड़ रही है। नाले से बुनियाद खोखली होने लगी हैं। नाले की तरफ आने वाले लगभग 10 घरों में दरारें आ चुकी हैं।

पुलिस आधी रात तक करती रही मुनादी
जिस तरह कलसिया नाले के किनारे लोग जाग रहे हैं उसी तरह पुलिस भी उनकी सुरक्षा के लिए पहरा दे रही है। मल्ला काठगोदाम चौकी इंचार्ज फिरोज आलम बताते हैं कि मंगलवार की रात कई बार बाढ़ का पानी बढ़ गया। मुनादी कर वह लोगों को पूरी रात जागते रहे। सुबह आठ बजे वापस लौटे।

बरसात शुरू होते ही हमारी जान हथेली पर आ जाती है। पांच दिन हो गए पूरी रात नहीं सोया हूं। रातभर जागकर बाढ़ का पहरा देते हैं। सोई समय पर हमारी सुनता नहीं।

  • महमूद हुसैन, स्थानीय निवासी

नाले के किनारे आधूरी दीवार बनाकर छोड़ दी गई। हमारे घरों को खतरा तो है ही पुल की बुनियाद भी बाढ़ से कमजोर हो गई हैं। जाल डालकर पुल व हमारे घरों का बचाव करना चाहिए।

-मनसूर अली, स्थानीय निवासी

नाले से घर को खतरा है। अधिकारी आते हैं घर खाली करने को कहते। अपना घर कौन छोड़ना चाहता। समय रहते बाढ़ सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए। बाढ़ का पानी देखने के लिए रातभर जागना पड़ रहा है।

-नूर जहां, स्थानीय निवासी

नाले के किनारे बसे लोगों को बाढ़ का खतरा है। 60 से अधिक परिवारों को घर खाली करने का नोटिस दिया है। लगातार निगरानी की जा रही है। टीम अलर्ट मोड पर है।

-पारितोष वर्मा, एसडीएम

राजपुरा में अस्थाई गोशाला में पानी में डूबे रहे 100 से अधिक बेसहारा पशु
हल्द्वानी। मानसूनी बारिश बेसहारा जानवरों के लिए भी आफत बनकर बरसी। राजपुरा में बनाए गए अस्थाई ठौर में जलभराव हो गया। इस कारण 100 से अधिक पशु पानी में दिनभर पानी में खड़े रहे। शहर में बढ़ते बेसहारा पशुओं के आंतक को देखते हुए नगर निगम ने पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया।

राजपुरा में अतिक्रमण से मुक्त कराई गई जमीन पर अस्थाई गोशाला का निर्माण किया। जहां पर 100 से अधिक पशुओं को रखा गया है। निगम ने यहां पर टिनसेड का निर्माण नहीं किया। जिससे पशु बारिश में खुले आसमां के नीचे भीगने को मजबूर हैं।

मंगलवार की रात व बुधवार की दोपहर बारिश से गोशाला में जलभराव हो गया। आसपास के लोगों का कहना था कि बुधवार को सुबह से दोपहर तक जानवरों को चारा तक नहीं दिया गया था। जिस व्यक्ति को देखरेख के लिए रखा है वह नहीं आया।

इधर, नगर निगम के प्रभारी सहायक आयुक्त गणेश भट्ट का कहना है कि जहां पर पशुओं को रखा है वहां पेड़ थे। इसलिए गर्मी में टिनसेड की आवश्यकता नहीं पड़ी। शीशमहल में लाखों रुपये खर्च कर टिनशेड बनाए थे। उस टिनसेड को उखाड़कर अब राजपुरा गोशाला में लगाया जाएगा।

शीशमहल गोशाला से 100 पशु गंगापुर शिफ्ट
शीशमहल में बनी नगर निगम की अस्थाई गोशाला में 200 पशु रखे गए हैं। नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त गणेश भट्ट का कहना है कि यह जमीन कुमाऊं मंडल विकास निगम की है। जिसे जल निगम को शिफ्ट कर दिया गया है। इसलिए जमीन को खाली किया जा रहा है। वहीं हल्दूचौड़ के गंगापुर गांव में स्थाई गोशाला बन गई है। उन्होंने बताया कि बुधवार को 100 पशुओं को शिफ्ट कर दिया गया था।

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