नई दिल्ली। राम मंदिर उद्घाटन से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा और आरएसएस का इवेंट करार दिया और अब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पूजन को लेकर सवाल खड़े कर दिए ।
कांग्रेस नेता ने उठाए प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने आज सुबह सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, क्या अयोध्या जी में रामलला मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा धार्मिक आयोजन था या राजनीतिक? क्या हमारे सनातन धर्म शास्त्र के अनुसार था या नहीं था? मैं मेरे हिन्दू धर्म प्रेमियों से पूछना चाहता हूं क्या उन्होंने कोई भी निर्माणाधीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होते हुए देखी है या सुनी है? क्या यजमान बिना पत्नी के बैठता है? क्या विश्व हिंदू परिषद, बीजेपी और नरेंद्र मोदी जी मेरे प्रश्नों का जवाब देंगे?
उन्होंने आगे लिखा,”मुझे मालूम है मुझे यह लोग मेरे प्रश्नों का उत्तर नहीं देंगे पर अपनी Troll सेना से गाली दिलवायेंगे क्योंकि झूठे वादे करना झूठ बोलना ही इनका धर्म है। जय सिया राम।
कांग्रेस ने दिग्गज नेताओं ने ठुकराया था निमंत्रण
बता दें कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बना ली। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का कहना था कि आगामी लोकसभा चुनाव में वोट हासिल करने के लिए बीजेपी राम मंदिर का जल्दबाजी में उद्घाटन कर रही है। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कहा कि यह एक राजनीतिक कार्यक्रम था।
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पर क्या बोले राहुल गांधी
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान पत्रकारों ने राहुल गांधी से पूछा कि अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के बारे में और वह देश में उत्पन्न हुई लहर का मुकाबला कैसे करेंगे? तो इसपर उन्होंने जवाब दिया कि , “ऐसा कुछ नहीं है कि कोई लहर है। मैंने पहले भी कहा था कि यह भाजपा का राजनीतिक कार्यक्रम है और नरेंद्र मोदी जी ने वहां एक समारोह और एक शो किया, यह अच्छा है।”
बीजेपी का चरित्र कहीं भी भगवान राम के करीब नहीं: कपिल सिब्बल
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा था, “यह पूरा मुद्दा दिखावा है। वे (बीजेपी) राम के बारे में बात करते हैं लेकिन उनका व्यवहार, उनका चरित्र कहीं भी भगवान राम के करीब नहीं है।”
भाजपा ने क्या कहा
वहीं, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा राम मंदिर के उद्घाटन का निमंत्रण ठुकराने पर भाजपा ने कहा कि यह पार्टी सनातन और हिंदू विरोधी है। वहीं, तुष्टिकरण की राजनीति के लिए कांग्रेस ने यह फैसला लिया।