अनोखी साहित्यिक प्रतिभा के धनी थे शायर खुर्शीद अफसर बिसवानी

बिसवां सीतापुर। बज़्म ए सुखनो अदब एण्ड वेलफेयर सोसाइटी जहांगीराबाद के तत्वावधान में हिन्दी व उर्दू अदब के मशहूर साहित्यकार अफसर बिसवानी की चौबीसवीं पुण्यतिथि पर बज़्म के सदर शायर डा० वकील अहमद खान “अजहर खैराबादी” के आवास पर एक संगोष्ठी का आयोजन कर उन्हें याद किया गया और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक शैखुल औलिया हज़रत गुलजार शाह तथा बाबा विश्वनाथ व बाबा मंशाराम की पवित्र नगरी ने 16 मार्च सन् 1940 को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर सैय्यद खुर्शीद अफसर बिसवानी को जन्म दिया। अफसर बिसवानी ने बचपन में कानपुर के मशहूर शायर एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी मौलाना हसन मोहानी‌ के घर रहकर शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद अपने गृह नगर बिसवां में आकर मशहूर शायर जिगर बिसवानी के सागिर्द हो गये। कौमी एकजहती का शायर खुर्शीद अफसर बिसवानी तंग हालतों से लड़ने और मुश्किलों से लड़ने का सामना करने का संदेश अवाम को देता रहा। उनकी शायरी में भारतीय सभ्यता एवं इंसानियत की तस्वीर नजर आती है। वक्ताओं ने कहा कि ऐसा कोई विषय नहीं जिस पर खुर्शीद अफसर बिसवानी ने कलम न‌ उठाई‌ हो। उनकी शेरों शायरियों की याद करते हुए डा०अजहर खैराबादी ने उनकी शायरी पढ़ते हुए कहा- “हमने दुश्मन को भी दुश्मन नहीं समझा ‘अफसर’। हम तो कातिल को भी जीने की दुआ देते हैं।” उनकी शायरी बहुत होशो-हवास की शायरी थी। उन्होंने 21 वर्ष की कम उम्र से ही साहित्य लेखन शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने नाम के साथ-साथ दुनिया में बिसवां का भी नाम रोशन किया।

उन्होंने दर्जनों काव्य संग्रहों,गीत व ग़ज़ल संग्रहों के अतिरिक्त दर्जनों साहित्यिक ग्रंथों की रचना की और तमाम पत्र पत्रिकाओं के लिए लेखन का कार्य किया। बैठक में उनके साहित्य सेवा को याद करते हुए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। उनके जज़्बात का अंदाजा इस शेर से लगाइये- ” बढ़ते हैं भटकते हैं, गिरते हैं, संभलते हैं।मंजिल में तमन्नाई हर हाल में चलते हैं। आज वह मेरे बीच में नहीं हैं फिर भी उनका‌ नाम‌ हमेशा रहेगा। उनकी मृत्यु 17 जून 2001 को हो गयी थी। इस मौके पर डा० फतेह अली खान उर्फ टीपू, हाफिज शफकत अली खान ‘फूल मियां’, परवीन बेगम, खबीर अहमद खान उर्फ हसीर खान,अमन श्रीवास्तव,लवी व रजत श्रीवास्तव, सबाहुद्दीन अंसारी,मोहम्मद आसिफ,अशोक कुमार, कमर खान,समर खान, मनाल खान,खिजिर व महद खान सहित दर्जनों लोगों ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

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