‘पीडीए’ की एकजुटता से बेचैन हुई ‘भाजपा’

एनडीए और इंडिया लड़ाई में आमने-सामने, सुस्त चला ‘हाथी, निर्दल हुए बेहाल

बाराबंकी। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण का मतदान सोमवार को सम्पन्न हुआ। इस चरण में बाराबंकी संसदीय सीट पर पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) मतों में जबरदस्त एकजुटता देखने को मिली। वहीं बसपा के मजबूती से नहीं लड़ने की वजह से उसका आधार वोट भी इधर-उधर जाते देखा गया। इससे एनडीए और इंडिया के प्रत्याशी ही न सिर्फ मुख्य लड़ाई में रहे, बल्कि दलित और पिछड़ी जातियों के मतों में सेंध पर ही उनकी जीत-हार का दारोमदार टिका है। बहरहाल, मतदान के बाद प्रत्याशी गुणा-भाग में जुटे हैं और अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे है। ऐसे में इंडी गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया और भाजपा प्रत्याशी राजरानी रावत के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। मतदान वाले दिन जिले में भाजपा की हैट्रिक रोकने के लिए इंडी गठबंधन पूरा दम लगाते नजर आया। पिछले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रियंका रावत और उपेन्द्र सिंह रावत ने कांग्रेस और सपा के उम्मीदवारों को भारी मतों से पराजित किया था और भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। इस बार परिस्थितियां बदली नज़र आ रही है। मुस्लिम बहुल इलाकों में हाथ ने बदलाव दिखाया है, परन्तु इन इलाकों में कमल खिलता नहीं दिखा। इंडी गठबंधन का जातिगत समीकरण यहां भाजपा समेत बाकी सभी दलों व निर्दलों के लिए कड़ी चुनौती भरा रहा। भाजपा का परंपरागत वोट इस बार खिसकता दिखा। वहीं, बसपा का काडर वोटर का भी रुख कांग्रेस की ओर दिखा। इसका सीधा लाभ कांग्रेस को होता दिख रहा है। इसी वजह से भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकबला देखने को मिल रहा है।

इस बार बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र में स्थानीय विरोध एवं मुद्दों का असर देखने को मिला। प्रशासन की मेहनत और निर्वाचन आयोग के निर्देशों के बाद मत प्रतिशत काफी बढ़ा है। इससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि कई क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी पर स्वजातीय और अगड़ी जातियों के वोट खूब बरसे, वहीं अन्य जगहों पर पिछड़ी जातियां कांग्रेस प्रत्याशी के साथ लामबंद दिखी। दलित वोटों का बंटवारा हुआ और मुस्लिम मतदाता भी मतदान को लेकर जागरूक नजर आए। इन सबके पीछे समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे पूर्व विधायक राकेश वर्मा, सदर विधायक सुरेश यादव, विधायक गौरव रावत, पूर्व प्रमुख सुरेन्द्र वर्मा, पूर्व मंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप, रामनगर विधायक फरीद महफूज किदवई और पूर्व विधायिका मीता गौतम व राजलक्ष्मी वर्मा की सक्रियता और गांव-गांव आयोजित चौपाल व आम सभाओं में की गई अपील और इंडी गठबंधन के घोषणा पत्र का असर मतदान वाले दिन मतदाताओं में देखने को मिला। यहां के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से तीन में कांग्रेस मजबूत दिखी, तो दो में भाजपा। ऐसे में कांटे की टक्कर के बीच प्रत्याशियों, उनके समर्थकों और मतदाताओं के बीच रोमांच बरकरार है। कोई आंकड़े जोड़कर अपनी पसंद के प्रत्याषी की जीत को पक्की बता रहा है। शहर से लेकर गांव में मतदान पर चर्चा की जा रही है। लोग चार जून को होने वाली मतगणना का इंतजार कर रहे है।

श्रद्धा बनी रही संकट मोचक

कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया की जीत सुनिश्चित करने में पूरा परिवार लगा हुआ है। इसमें सबसे आगे पिता पूर्व सांसद डॉ. पीएल पुनिया हैं। जिन्होंने चुनाव की पूरी कमान संभाल रखी है। वह छोटी से छोटी गतिविधियों पर नजर रखते हैं और जरूरत के हिसाब से रणनीति में बदलाव भी करते हैं। वहीं, तनुज की पत्नी श्रद्धा पुनिया संकट मोचक की तरह जुटी हुई हैं। घर-घर संपर्क अभियान हो या महिलाओं की टोली के साथ प्रचार। इसमें अहम भूमिका में हैं।

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