कन्या भोज के बाद व्रतियों ने किया पारण

मां सिद्घिदात्रि देवी के स्वरूप का भक्तों ने किया पूजन

हवन-पूजन कर भक्तों ने परिवार के सुख समृद्घि की कामना की

बलिया। बासंतिक नवरात्र के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री को समर्पित है। यह मां आदिशक्ति का नौवां और अंतिम रूप है। आठ सिद्धियों को उत्पन्न करने वाली इन देवी की पूजा से पारिवारिक सुखों में वृद्धि होती है और माता अपने भक्तों पर कोई विपदा नहीं आने देती हैं। इस दौरान जिले के प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्घालुओं ने नारियल, चुनरी, धूप, गुड़हल चढ़ाकर परिवार के सुख-समृद्घि की कामना की। इस दौरान मां के जयकारे एवं घंट-घडिय़ाल से मंदिर परिसर सहित पूरा क्षेत्र के देवीमय हो गया। नवमी के दिन नौ दिन व्रत रहने वाले श्रद्धालुओं ने मां दुर्गे की पूजा अर्चना करने के बाद हवन पूजन किया ।तत्पश्चात देवी के नौ रूपों के स्वरूप में नौ कन्याओं का आदर सम्मान के साथ भोजन ग्रहण कराया एवं दक्षिणा देकर परिवार के सुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया, इसके बाद पारण किया।

नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बासंतिक नवरात्र के नवमी के दिन बुधवार को नगर के गुदरी बाजार व जापलिनगंज दुर्गा मंदिर तथा ब्रह्माइन स्थित ब्राह्मणी देवी, शंकरपुर स्थित शांकरी भवानी, फेफना थाना के कपूरी गांव स्थित कपिलेश्वरी भवानी मंदिर पर मां के भक्तों ने पूजन-अर्चन कर मन्नते मांगी। इसके अलावा नरहीं थाना के कोरंटाडीह स्थित मंगला भवानी, रसड़ा के काली मंदिर, नीबू कबीरपुर व उचेड़ा स्थित चंडी भवानी, सिकंदरपुर के जल्पा-कल्पा मंदिर, मनियर के बुढ़ऊ बाबा मंदिर व नवका बाबा मंदिर, रेवती के पचरूखा देवी गायघाट मंदिर पर मां के भक्तों ने नारियल, चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर परिवार के मंगलमय की कामना की। वहीं घंट-घडिय़ाल तथा मां के जयकारे से मंदिर सहित आसपास का क्षेत्र के देवीमय हो गया। उधर, महिलाओं ने घर पर अष्टमी की रात कलश स्थापना करके निशा रात्रि में पूजा पाठ किया और सुबह इतना ध्यान करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया।

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