मुरादाबाद। भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद से पदाधिकारी भी भौंचक्के हैं। हार के अगले ही दिन से हार के कारणों की समीक्षा की जाने लगी है। लेकिन, पार्टी पदाधिकारी अभी तक हार के कारणों को समझ नहीं पा रहे हैं। उन्हें इसकी समीक्षा रिपोर्ट भी भेजनी है। रिपोर्ट तैयार करना भी दुविधा भरा काम है। पार्टी कार्यालय में दोपहर तक सन्नाटा पसरा रहा।
दोपहर बाद जिलाध्यक्ष व एक दो अन्य पदाधिकारी कार्यालय आए और सभी पदाधिकारियों से फिर से आंकड़े एकत्रित करने में जुट गए। सबसे बड़ी उलझन इस बात ही है कि अपने ही दावों को अपनी रिपोर्ट में किस प्रकार से काटेंगे। भाजपा संगठन के कारणों को तलाश रहा है। हालांकि, हार की जिम्मेदारी कुछ नेताओं तक सीमित नहीं रहेगी। भाजपा जिलाध्यक्ष आकाश पाल ने बताया कि हार तक ठीक है।
वोटों का किया जाएगा आंकलन
अब बूथ बार मिले वोटों का आंकलन किया जा जाएगा। सभी पदाधिकारियों से हार की कारणों पर चर्चा हो रही है। पार्टी पदाधिकारियों ने मेहनत भी खूब की। विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के पास तक गए थे। बूथ स्तर तक सभी ने परिश्रम किया। लेकिन, अभी तक जो कारण समझ में आ रहा है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण मुस्लिम मतदाताओं का गठबंधन के पक्ष में जाने के साथ ही जाति की राजनीति का उभार भी कारण रहा।
भाजपा ने सभी वर्गों को जोड़ने का प्रयास किया। इसमें हम सफल नहीं हुए। जहां हमें जीत मिल सकती थी, वहां भी हम पिछड़े, जबकि विधानसभा चुनाव में बढ़ापुर और नगर विधानसभा चुनाव में हमने जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव में हमारे पक्ष में वहां कम मतदान हुआ। सपा कार्यालय पहुंची सांसद रुचि वीरा मुरादाबाद की नवनिर्वाचित रुचि वीरा बुधवार को समाजवादी पार्टी कार्यालय पर पहुंची।
अन्य पदाधिकारी भी उनके साथ थे। वहां बैठकर आगे किए जाने वाले कार्यों को लेकर योजना तैयार की। हालांकि, अभी उन्हें हाईकमान की ओर से मिलने वाले निर्देशों के साथ ही केंद्र में गठबंधन की स्थिति का इंतजार है। जिस प्रकार से राजनीतिक हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए आगे कार्य किए जाएंगे। पार्टी कार्यालयों पर पसरा रहा सन्नाटा मतगणना के बाद सभी पार्टियों के कार्यालयों पर सन्नाटा पसरा रहा।
हालांकि, प्रत्याशियों के कार्यालय पर भीड़ थी। भाजपा कार्यालय पर भी पदाधिकारी कार्यकर्ता नजर नहीं आए। दोपहर बाद एक दो पदाधिकारी और कार्यकर्ता कार्यालय पहुंचे। वहीं भाजपा प्रत्याशी स्व. सर्वेश सिंह के बुद्धि विहार स्थित कार्यालय पर उनके समर्थक और कार्यालय के पदाधिकारी बैठे थे। सभी टीवी पर दिल्ली के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर चल रही खबरों पर नजरे गढ़ाए रहे। वहीं, कांग्रेस कार्यालय भी सूना-सूना दिखाई दिया और पाकबड़ा स्थित बसपा कार्यालय पर भी बंद ही रहा।