ठंढ से ठिठुर कर गौशाला में मर रहीं गायें, रजिस्टर में संख्या पूरी

गौशाला का नजारा

लखीमपुर/सिकन्द्राबाद खीरी- प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तमाम आदेशों निर्देशों तथा डीएम महेन्द्र बहादुर सिंह के काफी प्रयास के बाद भी पिछले लोकसभा एवं बीते विधानसभा चुनावों के बड़ा मुद्दा बन चुकीं बेसहारा गायों और उनके वंशजों के पास मरने के पहले तक मार खाने के अलावा कोई चारा नहीं है।दूध समाप्त होने के बाद अपने मालिक के दरवाजे से भगाने के लिए पशुपालक से मार खाने का शुरू हुआ सिलसिला उनकी मौत के बाद ही समाप्त होता है।चाहे वह खेत में खड़ी फसल को चरते समय किसान की मार हो,सड़क पर खड़े होने पर पुलिस प्रशासन की मार,मण्डी में दुकानदारों की मार खाना उनकी नियति बन गई है।

मनुष्य हो या पशु कोई भी रोज रोज मरने के बजाय एक बार ही मरना चाहता है।प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से लगातार बढ रही बेसहारा गोवंशीय पशुओं के संरक्षण के लिए शासन के निर्देश पर प्रशासन द्वारा बनाए गए ज्यादातर गोआश्रय स्थल भी ग्राम प्रधानों उनके संचालकों की अतिरिक्त कमाई का जरिया बन जाने से किसी कब्रगाह से कम नहीं हैं।इस भीषण सर्दी के मौसम में अपवाद को छोड़कर गंावों में स्थापित गोआश्रय स्थलों में बिना छाया व्यवस्था ठूंस कर भरे गए भूंखे प्यासे बेसहारा पशु ठंढ से ठिठुर कर मरते जा रहे हैं किन्तु पूरी तरह ईमानदारी का चोला ओढे ग्राम प्रधान एवं संचालक उनके भरण पोषण के लिए मिलने वाली सरकारी धनराशि के लालच में उनके मरने के बाद वहीं दफन कर रजिस्टर में पूरी संख्या दिखाकर कमाई करने में जुटे हुए हैं।

उनकी इस पाप की कमाई में हिस्सेदारी के कारण देखरेख करने वाले पशुचिकित्सक कभी भी किसी मृत पशु का नियमानुसार पोस्टमार्टम करने के बजाय चन्द रूपयों के लालच में अपने कृतव्यों को तिलांजलि देकर गौशाला संचालकों की हौसलाअफजाई में जुटे रहते हैं।इसका जीता जागता उदाहरण तहसील व ब्लाक मितौली की ग्राम पंचायत सिरसा के गोआश्रय स्थल में देखा जा सकता है।इस गौशाला में जितने पशु जिन्दा मौजूद हैं लगभग उतने ही वहीं एक गडढे में दफन किए जाने के बाद भी रजिस्टर पर संख्या पूरी दर्ज कर सरकार से पूरी धनराशि वसूली जा रही है।

गौशाला के केयरटेकर महिपाल पुत्र रेवती एवं मनीराम पुत्र गजोधर ने बताया रजिस्टर पर 225 पशु शुरू से दर्ज हैं जबकि वर्तमान में केवल 150 ही मौजूद हैं। जो मर चुके हैं। उनकी संख्या कम नहीं की गई और गौशाला फुल होने की सूचना लगाकर सभी को बेवकूफ बनाया जा रहा है।वहीं केयरटेकर ने बताया रात दिन डयुटी करने के बावजूद उन्हें भी 12 महीनें से मजदूरी नहीं मिली है।छत छाया की व्यवस्था नहीं होने से गर्मी में तो परेशानी नहीं होती है।अब खुले आसमान के नीचे रहने पर पशुओं की सर्दी लगने से मौत हो रही है।खाने के लिए इन्हें सिर्फ सूखा भूसा ही मिलता है।हरा चारा कहां मिलता है।इस बाबत जब ग्राम प्रधान सुनीता देवी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनके पति संजय कुमार ने बताया जो जानवर मर जाते हैं।उन्हें गौशाला के अन्दर ही गड्ढे में डालकर पाट दिया जाता है।पशुओं का पोस्टमार्टम कौन कराता है।वहीं ग्राम पंचायत अधिकारी धीरेंद्र वर्मा ने काफी प्रयास के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया।

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