बलिया। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग ने शहरी क्षेत्र के साथ ही आठ ब्लाक में बुधवार को नाइट ब्लड सर्वे कराया गया। यह सर्वे शहरी क्षेत्र के जगदीशपुर, दुबहड़ ब्लॉक के सहरसपाली, रतसड़ के शाहपुर (जिगहि), सोहांव के कथरिया, सोनवानी के रोहुआ, बांसडीह के देवढ़ी, मनियर के सुल्तानपुर, बेरुआरबाड़ी के शिवपुर, पंदह के बरवा ग्राम में हुआ। इस सर्वे में कुल 907 लोगों के ब्लड सैंपल लिये गये।
यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने दी। बताया कि फाइलेरिया के परजीवी यानि माइक्रोफाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए बनी टीम लोगों के ब्लड का सैंपल रात में लेते है। उन्होंने बताया कि सर्वे में आए बीस साल से अधिक आयु के सभी लोगों का सैंपल लिया गया। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाई गई हैं। इससे परजीवी होने या न होने की पुष्टि की जाएगी। इस सर्वे का उद्देश्य फाइलेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल उपचार शुरू कर जिले में फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। बताया कि इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं के जरिये नाइट ब्लड सर्वे कराने के लिए जांच स्थान पर आने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया था।
कैसे होता है फाइलेरिया, जाने
बलिया। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। इसे सामान्यतः हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है।बताया कि वर्तमान में जनपद में फाइलेरिया के 4893 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 647और लिम्फोडिमा के 4246 मरीज हैं।
हाइड्रोसील के 647 मरीजों में से 170 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। 4246 लिम्फोडिमा के मरीजों में से 3185 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है। बताया कि एक जनवरी 2023 से अब तक नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 4772 व्यक्तियों की जांच की गई, जिसमें अब तक 44 माइक्रो फाइलेरिया धनात्मक पाए गए, जिनको उपचारित कर दिया गया। जनपद वासियों से अपील किया कि फाइलेरिया के कोई भी लक्षण दिखें तो जांच अवश्य कराएं, ताकि समय रहते उपचार किया जा सके। प्रत्येक बुधवार को रात आठ बजे के बाद सीएमओ ऑफिस स्थित फाइलेरिया नियंत्रण इकाई में फाइलेरिया जांच की सुविधा उपलब्ध है।
जाने लक्षण
. कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।
. शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।
. हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।
. महिलाओं के स्तन में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
. संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल में दिख सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
. फाइलेरिया से बचाव की दवा की एक खुराक पांच वर्ष लगातार, साल में एक बार सेवन करके बचा जा सकता है।
. लक्षण दिखने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
. फाइलेरिया के मच्छर गंदगी में पनपते हैं। इसलिए साफ-सफाई रखें, मच्छरों से बचाव करें।
. मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
. रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।